भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए डाॅ. लोहिया के सिद्धांतों को अपनाना होगाः प्रो. शक्ति कुमार

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भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए डाॅ. लोहिया के सिद्धांतों को अपनाना होगाः प्रो. शक्ति कुमार

भारत में आर्थिक विषमता राष्ट्र के लिए मुख्य चुनौतीः प्रो. आशुतोष सिन्हा

अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में डाॅ0 लोहिया की जयंती पर परिसर स्थित लोहिया वाटिका में लोहिया जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 प्रतिभा गोयल के निर्देशन में शनिवार को कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. आशुतोष सिन्हा, प्रो. विनोद श्रीवास्तव, दिलीप पाल, आशीष प्रजापति, अनिल कुमार, शैलेश मिश्रा सहित अन्य ने डाॅ. लोहिया की प्रतिमा माल्यार्पण किया। वहीं दूसरी ओर डॉ. लोहिया जयंती की पूर्व संध्या पर अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा ‘वर्तमान आर्थिक परिदृश्य एवं डॉ. लोहिया के विचारों की प्रासंगिकता’ विषय पर ‘लोहिया स्मृति व्याख्यान’ एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती एवं डॉ. लोहिया के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वक्ता प्रो. शक्ति कुमार, चेयरमैन, सेंटर फॉर इकोनॉमिक स्टडीज एण्ड प्लानिंग, जवाहरलाल नेहरू, विश्वविद्यालय, नई दिल्ली रहे। उन्होंने ‘लोहिया स्मृति व्याख्यान’ देते हुए भारत के वर्तमान आर्थिक परिदृश्य का विस्तृत विश्लेषण किया और बताया कि प्रति व्यक्ति आय एवं एच.डीआई. के आधार पर भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए लोहिया जी के सिद्धांतों पर चलना होगा। उन्होंने बताया कि भारत की जी.डी.पी. में तो वृद्धि हुई है। लेकिन आकार के आधार पर विश्व की पाँचवी अर्थव्यवस्था है। परंतु भारत की प्रति व्यक्ति आय काफी कम है और मानव विकास सूचकांक भी काफी नीचे है जो आर्थिक दृष्टि से बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। स्थिति को सुधारने के लिए पूंजीगत व्यय को बढ़ाना होगा जो सरकार सेंटरिक योजना द्वारा संभव होगा न की प्राइवेट सेंटरिक योजना द्वारा होगा। कार्यक्रम में प्रो0 शक्ति ने कहा कि पिछले कई दशकों से ऐसा न करने एवं अनावश्यक निजीकरण के कारण राष्ट्र की आर्थिक स्थिति पर खराब असर पड़ा है। भारत में विकेंद्रित योजना के द्वारा ही आर्थिक असमानता को दूर किया जा सकता है। गरीबी रेखा की बात करते हुए उन्होंने बताया कि अब अमीरी रेखा पर चर्चा करने की जरूरत है, ताकि राष्ट्रीय आय का समान वितरण सुनिश्चित हो सके। उन्होंने बताया कि भूमि सुधार के क्षेत्र में अभी भी कार्य करने की जरूरत है। अपने व्याख्यान में प्रो. कुमार ने डॉ. लोहिया के विचार पर आधारित जाति, वर्ग, आदि सात तरह की समानता पर बल देने की बात कहीं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. आशुतोष सिन्हा ने भारत में आर्थिक विषमता के निरंतर बढ़ने को राष्ट्र के लिए मुख्य चुनौती बताया। उन्होंने बताया कि भारत में समावेशी एवं सतत विकास बिना डॉ. लोहिया के समाजवाद को अपनाए संभव नहीं होगा। राष्ट्रीय आय संवृद्धि दर बढ़ने से ही सही मायनों मे विकास नहीं होगा, जब तक की आय का वितरण समान नहीं होगा। लोहियाजी का समाजवाद का सिद्धांत यह स्पष्ट करता है की पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों ही विषमताओं को बढ़ाने का कार्य करते हैं एवं दोनों व्यवस्थाओं में जनसंख्या एवं समाज का एक बहुत बड़ा हिस्सा अपने श्रम के अनुरूप प्रतिफल नहीं प्राप्त करता है। इससे राष्ट्र की आय एवं संसाधनों पर कुछ ही लोगों का कब्जा बना रहता है। प्रो0 सिन्हा ने लोहिया की चैखंभा व्यवस्था की चर्चा करते हुए बताया कि विषमता को दूर करने के लिए विकेन्द्रीकरण एवं केन्द्रीकरण के बीच में सामंजस्य स्थापित करना होगा। लोहियाजी ने कुटीर एवं छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने एवं अनावश्यक औद्योगीकरण से बचने को कहा था, उसी को दृष्टिगत रखते हुए एम.एस.एम.ई. सेक्टर एवं श्रम प्रधान तकनीक वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने की जरूरत है जो बेरोजगारी एवं गरीबी उन्मूलन एवं पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से अनुकूल होगा एवं आर्थिक विषमता में कमी लाएगा।

कार्यक्रम में अर्थशास्त्र विभाग की प्रो. मृदुल मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत किया एवं लोहियाजी के कार्य एवं विचारों से सभी लोगों को प्रेरणा लेने की बात करते हुए राष्ट्र की सेवा के लिए अपना योगदान देने की बात कही। इसी क्रम में प्रो. विनोद कुमार श्रीवास्तव ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. लोहिया के जीवन वृत पर प्रकाश डाला। अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रिया कुमारी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में विज्ञान संकायाध्यक्ष, प्रो. राजीव गौड़, डॉ. संजय चैधरी डॉ. सरिता द्विवेदी, डॉ. रचना, डॉ. अल्का श्रीवास्तव, आशीष प्रजापति, अनिल कुमार, डॉ. सुभाष, राम लखन, रिचा पाण्डे, कोमल पाल, विजय शुक्ला, कुशाग्र पाण्डे, हीरालाल सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

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