संसद और राज्य विधानसभाओं की पवित्रता बनाए रखना जन प्रतिनिधियों का प्रथम कर्तव्य :उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने जन-प्रतिनिधियों से आह्वान किया है कि वे लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सदैव प्रयासरत रहें और...
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने जन-प्रतिनिधियों से आह्वान किया है कि वे लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सदैव प्रयासरत रहें और...
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने जन-प्रतिनिधियों से आह्वान किया है कि वे लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सदैव प्रयासरत रहें और प्रतिनिधित्व करने वाली संस्थाओं की गरिमा बनाए रखें। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जनप्रतिनिधि लोगों के द्वारा दी गई जिम्मेदारियों को पूरा करें और राष्ट्र निर्माण की दिशा में सांसद, विधायक और स्थानीय निकाय के सदस्य अपने कार्यकाल का इष्टतम उपयोग करें।
नई दिल्ली में रायतू नेसाम पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित तेलुगु पुस्तक “ग्रामीण प्रजावनी-सुनकारा सत्यनारायण शासन मंडली प्रसांगलु” (आंध्र प्रदेश विधानसभा में सुनकारा सत्यनारायण के भाषण) का विमोचन करने के बाद, एक सभा को संबोधित करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि श्री सत्यनारायण जैसे लोगों ने अपने वाक-कौशल और लोगों के प्रति समपर्ण की अपनी प्रतिबद्धता के माध्यम से विचार विमर्श के स्तर को उच्च बनाया।
उपराष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश विधानसभा में विधायक के रूप में अपने दिनों का स्मरण करते हुए कहा कि वह चाहते है कि युवा पीढ़ी श्री तेन्नेती विश्वनाधाम, श्री गोथू लताचन्ना, श्री पुचलपल्ली सुंदरराय और श्री सुनकारा सत्यनारायण जैसे विख्यात विधायकों के भाषणों को सुनें और उनसे ज्ञान अर्जित करें।
श्री नायडू ने सभी लोगों से सार्वजनिक जीवन में उपयोगी महत्व के विषयों जैसे कृषि, शिक्षा, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य सेवा और योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन की अपील की।
उन्होंने राजनीतिक दलों, संसद सदस्यों और विधायकों से रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए अपने दृष्टिकोण का पुर्नमूल्यांकन करने का आह्वान करते हुए कहा कि विधानसभाओं में बहस के स्तर को उच्च बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संसद और राज्य विधानसभाओं जैसे संस्थानों की पवित्रता को बनाए रखना जनप्रतिनिधियों का प्रथम कर्तव्य है।