इनको युद्ध नहीं बुद्ध चाहिए, और हम है कि मानते नही

Update: 2020-02-15 14:05 GMT

सीरिया में चल रही प्रभाव की लड़ाई में एक तरफ रूस खड़ा है तो दूसरी ओर अमेरिका | दोनों ही देश सभ्य समाज के जनक माने जाते है पर इनकी सभ्यता और समाज सिर्फ इन्ही के देश तक सीमित रहता है |

सीरिया में मर रहे लाखों लोगों की कहानी अगर सामने आये तो मानवता को मुह छूपा लेना पड़ेगा | रक्त के तालाब में बचपन की तस्वीर विचलित कर देती है पर इन रक्त पिशाचो की भूख समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है |

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अहम् के लड़ाई में बचपन बर्बाद हुआ जा रहा है | एक समय का समृद्ध देश आज नरक का वास हो गया है| वहा के लोग पागलपन की हद पार कर चुके है | धर्म की लड़ाई का क्या हश्र हो रहा है ये हमे दिख क्यों नहीं रहा है |

अगर हम ऐसे ही जनता को यहाँ बरगलाते रहे तो हमारे देश का भी यही हाल हो जाएगा | आज कही शाहीन बाग़ है तो कही घंटा घर पर इन लोगो को देश की कानून व्यवस्था और सरकार पर विश्वास नहीं है |

अगर कानून और सरकार के इतर कोई लड़ाई है तो वो सीरिया और इराक की तरह ही होगी यो क्या शाहीन बाग को इसी का इंतज़ार है | अगर न्यायालय पर भरोषा नही तो किसका इन्तजार कर रहे है | क्या भारत इस सडको को भी सीरिया बनाना चाहते है |

इन लोगो को विरोध एक सीमा तक ठीक था अब इन्हें सरकार और न्यायालय पर भरोषा कर हट जाना चाहिए नहीं तो जनता की सब्र का बाँध अगर टूट गया तो देश को काफी नुकसान उठाना पड़ जाएगा |

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