'मन की बात' के 10 साल पूरे: पीएम मोदी ने जनता को बताया कार्यक्रम का सूत्रधार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम की 114वीं कड़ी में देशवासियों को संबोधित किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' के 10 वर्षों की यात्रा पूरी होने पर जनता की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “आज का एपिसोड मुझे भावुक कर देगा। यह मुझे पुरानी यादों में ले जा रहा है, क्योंकि 'मन की बात' की यह यात्रा 10 वर्षों को पूरा कर रही है।”
प्रधानमंत्री ने 'स्वच्छ भारत मिशन' की सफलता पर देशवासियों को बधाई दी और इसके स्वच्छता पर सकारात्मक प्रभाव को उजागर किया। उन्होंने निरंतर भागीदारी की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, "यह एक अस्थायी पहल नहीं है, इसे निरंतर प्रयासों की जरूरत है जब तक कि स्वच्छता हमारी आदत नहीं बन जाती।" उन्होंने सभी से अपील की कि वे इस अभियान में अपने परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों को शामिल करें।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण के प्रति समर्पित व्यक्तियों के प्रयासों की सराहना की और 'बारिश के पानी का संरक्षण' (Catch the Rain) पहल के महत्व पर जोर दिया। पीएम मोदी ने कहा, “बारिश के मौसम में बचाया गया पानी जल संकट के महीनों में काफी मदद करता है, और यही 'कैच द रेन' जैसे अभियानों का उद्देश्य है।” उन्होंने इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में नागरिकों द्वारा उठाए गए प्रयासों की संख्या में वृद्धि पर संतोष व्यक्त करते हुए सभी से सतत जल प्रबंधन के प्रयासों को जारी रखने की अपील की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने \'मन की बात कार्यक्रम\' के माध्यम से झांसी की महिलाओं का जिक्र किया। इन महिलाओं ने अपनी मेहनत और लगन से एक मृतप्राय नदी को नया जीवन दे दिया है। पीएन ने झांसी के बबीना विकास खंड के सिमरावारी गांव में जल सहेलियों की अनोखी पहल को सराहा। पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम में अपने बारे में सुनकर झांसी की जल सहेली बहुत उत्साहित नजर आयीं।
इन जल सहेलियों ने घुरारी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए 6 दिनों तक श्रमदान किया। बोरियों में बालू भरकर नदी का पानी रोक कर डैम बनाया और नदी को पानी से लबालब कर दिया। जल सहेलियों ने केवल एक नदी के पुनर्जीवन का काम ही नहीं किया है। बल्कि इससे उन्होंने समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया है। वर्षों से टूटे चेकडैम के कारण झांसी जिले की घुरारी नदी लगभग मृतप्राय हो गई थी। हालांकि जल सहेलियों ने बिना किसी सरकारी और गैर सरकारी मदद से टूटे चेकडैम को बोरियों की मदद से बांध दिया। अब नदी में रोके गए पानी से स्थानीय लोगों को नहाने, जानवरों को पीने का पानी उपलब्ध हो रहा है। बाइट - जल सहेली