दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रहे लोगों का ध्यान देश के अन्य शहरों का गैस चेंबर बनने की ओर नहीं है।पूरे मीडिया में अगर देखें तो प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लेकर हर सेक्टर सिर्फ दिल्ली की बात कर रहा है पर भारत के और भी कई शहर है जहां प्रदूषण गंभीर समस्या बना हुआ है।
उत्तर प्रदेश का इसमें सबसे बुरा हाल है और उसके ज्यादातर शहर प्रदूषण के मानकों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। कारण साफ है कि सरकार का ध्यान प्रदूषण जैसी समस्याओं की तरफ होता ही नहीं है।प्रदूषण का जो सबसे बड़ा कारण है वह प्रदेश की सड़कें हैं जो हवा में मिट्टी लगातार डाले जा रहे हैं।देश की किसी भी सड़क पर चले जाइए तो गड्ढों में धूल ही धूल भर आई हुई है और जब गाड़ियां चलती हैं तो लगता है|
कि दोनों का पहाड़ सामने खड़ा हो गया है।जब तक युद्ध स्तर पर लगकर सड़कों को ठीक नहीं किया जाएगा सड़कों के किनारे पड़े कूड़े का ठीक तरह से निस्तारण नहीं किया जाएगा तो यह समस्या बनी रहेगी।स्थिति ऐसी हो गई है कि सुप्रीम कोर्ट को प्रदूषण पर सच होना पड़ा है और ऐसी टिप्पणी करनी पड़ी है जिससे सरकार लज्जित हो जाए। प्रदेश की सरकारों से लज्जा नाम की चीज खत्म हो चुकी है विधायकों को अपनी पेंशन फंड और नेताओं को अपनी कुर्सी के अलावा कुछ और दिखाई नहीं दे रहा है जनता की चिंता किसी को नहीं है और उसे चिता पर बैठाने की तैयारी देश का प्रशासन कर रहा है।