इको-फ्रेंडली तरीके से इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली उत्तर प्रदेश सरकार डेनमार्क के साथ बातचीत कर रही है, जिससे उम्मीद है कि इससे मदद मिलेगी।
डेनमार्क के राजदूत एच ई फ्रेडी स्वान ने मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र से भेंट की थी। भेंट के दौरान डेनमार्क के राजदूत ने स्टबल स्ट्रॉ को बायो स्ट्रॉ ब्रिकेट में एथनॉल या मेथनॉल में परिवर्तित करने से संबंधित टेक्नोलॉजी की उपयोगिता के विषय पर गहनता से चर्चा की।
डेनमार्क के राजदूत का कहना है कि गेहूं और धान के कृषि अपशिष्ट व पराली से बायोमेथनॉल, ई-मेथनॉल का उत्पादन किया जा रहा है। प्रदेश सरकार की ओर से भी इस तरह की तकनीक में रुचि दिखाई गई है और संभावना है कि डेनमार्क में पहला प्लांट स्थापित होने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार तकनीक ट्रांसफर या डेनमार्क के साथ साझेदारी में इस ओर कदम बढ़ा सकती है।
इस तकनीक की मदद से पराली के माध्यम से ब्रिकेट तैयार होता है, ब्रिकेट से किण्वन द्वारा बायोगैस उत्पादन और फिर बायोगैस को इलेक्ट्रिक स्टीम मीथेन रिफॉर्मेशन (eSMR) प्रक्रिया से बायो इथेनॉल उत्पादन होता है। किण्वन (fermentation) प्रकिया से उत्पादित कार्बन डाइऑक्साइड में हाइड्रोजन गैस की प्रक्रिया से ई-मेथनॉल का उत्पादन किया जाता है। डेनमार्क द्वारा इस पेटेन्ट की गयी तकनीक पर आधारित प्रथम परियोजना को स्थापित किया जा रहा है। वर्ष 2025 में इससे उत्पादन शुरू किया जाना प्रस्तावित है।
प्रस्तावित डेनिश पेटेंट तकनीक दुनिया में कहीं भी नहीं है। इस पद्धति पर आधारित पहला संयंत्र निर्माणाधीन है और 2025 तक उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। 6 ब्रिकेट उत्पादन से एकत्रित 145 मिलियन सामान्य घन मीटर बायोगैस (1,10,200 टन गैस) से 1.00 लाख टन इथेनॉल का उत्पादन करने का प्रस्ताव है। प्रत्येक 450 टन क्षमता के संयंत्र। इस प्लांट को लगाने के लिए कैपेक्स 2225 करोड़ रुपए दिखाया गया है।