टूटे थे पहले से 22 केबल ,लोगों की भीड़ बढ़ी तो टूट गए बाकी 27 केबल : एसआईटी की रिपोर्ट में चौकाने वाले खुलासे
मोरबी ब्रिज हादसे में गुजरात सरकार की पांच सदस्यों वाली एसआईटी ने प्राइमरी रिपोर्ट सब्मिट कर दी है। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पुल की 49 केबल में से 22 में जंग लग चुकी थी। एसआईटी का मानना है कि ये 22 तार पहले ही टूट चुके होंगे।
जब पुल पर लोगों की तादाद बढ़ी तो बाकी 27 तार वजन नहीं उठा पाए और टूट गए।मोरबी हादसा 30 अक्टूबर 2022 को हुआ था। इसमें 135 लोगों की मौत हो गई थी। एसआईटी में आईएएस राजकुमार बेनीवाल,आईपीएस सुभाष त्रिवेदी, राज्य सड़क और भवन विभाग के सेक्रेटरी, एक इंजीनियर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के एक प्रोफेसर सदस्य थे।
एसआईटी की जांच में सामने आया है कि पुल को थामने वाली सामने की मेन केबल टूटने से बिज गिरा। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि रेनोवेशन के दौरान पुराने सस्पेंडर्स को नई रॉड के साथ वेल्ड कर दिया गया था। इतना ही नहीं एसआईटी की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि मोरबी नगर पालिका ने बिना जनरल बोर्ड की मंजूरी के ही कॉन्ट्रैक्ट दे दिया था। इसकी कोई चर्चा नहीं की गई थी।
ओरेवा ग्रुप ने इसके बाद मरम्मत के लिए ब्रिज को बंद रखा और 26 अक्टूबर को बिना मंजूरी के खोल दिया था।हालांकि, इसमें कहा गया है कि पुल की वास्तविक क्षमता की पुष्टि प्रयोगशाला रिपोर्ट से होगी। मोरबी हादसे के बाद पुलिस ने ग्रुप से जुड़े 9 कर्मचारियों को पकड़ा था। उसके साथ ग्रुप के एमडी और प्रमोटर जयसुख पटेल सरेंडर के बाद जेल में बंद हैं। पुलिस इस मामले में 1262 पेज की चार्जशीट पहले ही कोर्ट में पेश कर चुकी है। तो वहीं इस मामले हाईकोर्ट में भी केस चल रहा है।
एसआईटी के अनुसार, हादसे के वक्त पुल पर लगभग 300 व्यक्ति थे, जो पुल की भार वहन क्षमता से कहीं अधिक था। हालांकि, पुल की वास्तविक क्षमता की पुष्टि प्रयोगशाला रिपोर्ट से होगी। जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अलग-अलग लकड़ी के तख्तों को एल्यूमीनियम डेक के साथ बदलना भी हादसे की वजह में शामिल है। मोरबी पुलिस पहले ही ओरेवा ग्रुप के एमडी जयसुख पटेल सहित दस आरोपियों को आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 336 (मानव जीवन को खतरे में डालने वाला कृत्य), 337 (चोट पहुंचाना) और और 338 के तहत गिरफ्तार कर चुकी है।