आज हम बेवजह इस बात में पड़ रहे है की निजामुद्दीन में एक तबके के लोगो ने क्या किया और ये किस धर्म के है | एक दुसरे को कोसने का समय आगे भी मिलेगा जो वक्त की जरुरत है उसके अनुसार कोरोना के खतरे को जितना कम किया जा सके उतना अच्छा होगा |
हालाकि जमात ने गुनाह किया है और ऐसी ही खबरे भारत के अन्य भागो से आ रही है | एक विडियो में देखा की एक आदमी अपने पांच -छः साल के बच्चे को लेकर सामूहिक रूप से नमाज पढने गया है | ये एक तरह की जहालत है जिससे आप क्या मुकाबला करेंगे, जब वो व्यक्ति अपने बच्चे की जान की परवाह नहीं कर सका उसे देश और दुनिया की क्या फ़िक्र |
ये बात सोचने की है की नमाज पढने के लिए अभी भी जा रहे लोगो में बहुत संख्या उन युवा और कम उम्र के बच्चो की है जो शायद धर्म का मतलब भी अभी नहीं जानते होंगे | ऐसे लोग जो अपनी जान तो जोखिम में डाल रहे है अपने बच्चो को भी कोरोना के खतरे में डाल रहे है वो गुनाहगार है |
मुसलमानों में हम सभी को एक ही चाबुक से हांके ये ठीक नहीं | पुरे देश में अगर बीस करोड़ मुसलमान है तो अभी बाहर निकलने वाले लोगों की संख्या कितनी है लाख -दो लाख | इन सभी को पकड कर कानून के डंडे से अगर ठीक ठाक कानून का पालन करवा दिया जाये तो आधी बीमारी ऐसे ही ख़त्म हो जायेगी |
बाकी बात है शिक्षा और समझाने की तो उसके लिए अगली सदी पड़ी है उनको भी बराबर तक लाने के लिए |