भारत को आत्मनिर्भर बनाना होगा
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा की भारत ‘विश्व एक परिवार’ के संस्कारों से पला-बढा हुआ है। अगर वेद कहते थे- ‘वसुधैव...
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा की भारत ‘विश्व एक परिवार’ के संस्कारों से पला-बढा हुआ है। अगर वेद कहते थे- ‘वसुधैव...
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा की भारत ‘विश्व एक परिवार’ के संस्कारों से पला-बढा हुआ है। अगर वेद कहते थे- ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ तो विनोबा जी कहते थे- ‘जय जगत’... और इसलिए हमारे लिए विश्व एक परिवार है। और इसलिए... आर्थिक विकास भी हो, लेकिन साथ-साथ मानव और मानवता का भी केंद्र स्थान होना चाहिए, इसका महत्व होना चाहिए, उसी को ले करके हम चलते है।
आज दुनिया
interconnected है, आज
दुनिया interdependent है और इसलिए समय की मांग है कि विश्व
अर्थव्यवस्था में भारत जैसे विशाल देश का योगदान बढ़ना चाहिए। विश्व कल्याण के
लिए भी ये भारत का कर्तव्य है। और भारत को अपना योगदान बढ़ाना है तो भारत को स्वयं
को सशक्त होना होगा, भारत को आत्मनिर्भर होना होगा। हमें
जग कल्याण के लिए भी अपने आप को सामर्थ्यवान बनाना ही पड़ेगा। और जब हमारी जड़ें
मजबूत होंगी, हमारा अपना सामर्थ्य होगा तो हम दुनिया का भी
कल्याण करने की दिशा में कदम उठा सकते हैं।
हमारे देश
में अथाह प्राकृतिक संपदा है, क्या
कुछ नहीं है। आज समय की मांग है कि हमारे इन प्राकृतिक संसाधनों में हम value
addition करें, हम अपनी मानव संपदा में मूल्यवृद्धि
करें, नई ऊंचाइयों पर ले जाएं। हम देश से कब तक कच्चा माल
विदेश भेजते रहेंगे... raw material कब तक दुनिया में भेजते रहेंगे,
और देखिए तो... raw material दुनिया में भेजना
और finished goods दुनिया से वापस लाना, ये खेल कब तक चलेगा। ... और इसलिए हमें आत्मनिर्भर बनाना होगा। हमारी हर
शक्ति पर वैश्विक आवश्यकताओं के अनुसार मूल्यवृद्धि करनी है। ये हमारा दायित्य
है। ये value addition करने की दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते
है, हम विश्व में योगदान करने के लिए आगे बढ़ना चाहते है।