बजट 2024: अंतरिम बजट में होगा 5.3 प्रतिशत घाटे का लक्ष्य!

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बजट 2024: अंतरिम बजट में होगा 5.3 प्रतिशत घाटे का लक्ष्य!
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अर्थशास्त्रियों और अनुमान लगाने वाली एजेंसियों के कई अनुमानों के विश्लेषण से पता चलता है कि आगामी अंतरिम बजट में वित्त वर्ष 2025 के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी के 5.3 प्रतिशत के बराबर रखा जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ अर्थशास्त्रियों का पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) में कमी आने का अनुमान है, जो कोविड के बाद के दो वित्तीय वर्षों में बहुत ज्यादा रहा है।

अनुमान लगाने वाली एजेंसियों के 10 शोध रिपोर्टों का बिजनेस स्टैंडर्ड ने विश्लेषण किया है। इनमें से 8 ने अनुमान लगाया है कि राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 5.3 प्रतिशत रहेगा, जबकि दो एजेंसियों ने 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।

आम चुनावों को देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को लेखानुदान या अंतरिम बजट पेश करेंगी, जिससे अगली सरकार द्वारा पूर्ण बजट पेश किए जाने के पहले शुरुआती व्यय किया जा सके।

गोल्डमैन सैक्स ने एक बयान में कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2025 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 5.2 से 5.4 प्रतिशत के बीच (हमारा आधार जीडीपी का 5.3 प्रतिशत है) रखेगी। वित्त वर्ष 26 तक मध्यावधि के हिसाब से राजकोषीय समेकन का लक्ष्य 4.5 प्रतिशत करने के सरकार के लक्ष्य को देखते हुए यह अनुमान लगाया गया है।

वित्त वर्ष 24 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 5.9 प्रतिशत रखा गया है। बजट में अनुमानित नॉमिनल जीडीपी वृद्धि की तुलना में इसके कम रहने, विनिवेश से कम आमदनी और सब्सिडी के ज्यादा बोझ के कारण ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह लक्ष्य अधिक गैर कर राजस्व व प्रमुख मंत्रालयों के बचत से पूरा किया जाएगा।

इसी तरह का विचार पेश करते हुए बार्कलेज का कहना है कि ज्यादा कर व गैर कर राजस्व संग्रह से विनिवेश राजस्व से आई कमी की भरपाई हो जाएगी और उम्मीद है कि केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष में आसानी से जीडीपी के 5.8 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य प्राप्त कर लेगी।

इसने कहा है, 'हम उम्मीद करते हैं कि 2024-25 के बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 5.3 प्रतिशत रखा जाएगा। इसके मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटा 17.7 लाख करोड़ रुपये रहेगा, जो मोटे तौर पर वित्त वर्ष 2023-24 के हमारे 17.8 लाख करोड़ रुपये के पूर्वानुमान के करीब है।Ó

कोटक महिंद्रा बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज का कहना है कि मध्यावधि के हिसाब से केंद्र सरकार ने तेज वित्तीय समेकन का लक्ष्य रखा है, साथ ही व्यय प्रतिबद्धता को देखते हुए व्यय की गुणवत्ता में सुधार करना है।

उन्होंने कहा, 'वित्त वर्ष 25 के अंतरिम बजट में कुछ लोकलुभावन कदम उठाए जा सकते हैं, जबकि सुस्त पूंजीगत व्यय का लक्ष्य हो सकता है। वहीं उधारी पर काबू पाने के लिए सामान्य से तेज राजकोषीय समेकन की संभावना है। हम वित्त वर्ष 25 के अनुमान में सकल राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.4 प्रतिशत रखे जाने की संभावना जता रहे हैं।Ó

पूंजीगत व्यय के मोर्चे पर अर्थशास्त्रियों का एक समूह सहमत है कि आगामी बजट में ज्यादातर मंजूरियां आवश्यक व्यय के लिए होंगी और पूंजीगत व्यय का व्यापक तौर पर आकलन होगा।

रिपोर्ट में कहा है, 'सरकार पूंजीगत व्यय को प्राथमिकता देती रही है। खासकर सड़क, रेलवे और रक्षा पर व्यय हुआ है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह जारी रहेगा, लेकिन इसकी रफ्तार धीमी होगी। हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025 में पूंजीगत व्यय 20 प्रतिशत बढ़ेगा। हम केंद्र द्वारा राज्यों को दिए जाने वाले 300 अरब रुपये 50 साल के ब्याज मुक्त कर्ज में भी कटौती की संभावना खारिज नहीं कर रहे हैं।Ó

केयर रेटिंग्स ने कहा है, 'हम उम्मीद करते हैं कि सरकार अपने वित्त वर्ष 24 के 10 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के लक्ष्य पर कायम रहेगी और इसे वित्त वर्ष 25 में 10 प्रतिशत बढ़ाकर 11 लाख करोड़ रुपये करेगी।Ó

इक्रा रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर को उम्मीद है कि अंतरिम बजट में वित्त वर्ष 25 के लिए विनिवेश लक्ष्य 50,000 करोड़ रुपये तय किया जाएगा क्योंकि ज्यादा लक्ष्य से ऐसी प्राप्तियां न आने पर बजट का गणित बिगड़ सकता है, जैसा कि पिछले 3 साल से हो रहा है।

उन्होंने कहा, 'वित्त वर्ष 24 के लिए केंद्र सरकार ने 51,000 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा था, लेकिन इसका सिर्फ पांचवां हिस्सा (10,050 करोड़ रुपये) ही आ सका है। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को बेचने की योजना अभी कतार में है और चालू वित्त वर्ष में पूरी हो सकती है। कुल मिलाकर इक्रा का अनुमान है कि वित्त वर्ष 24 में विनिवेश से अनुमान की तुलना में 36,000 करोड़ रुपये कम धन आएगा।Ó

व्यय को लेकर कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि समर्थन के लिए उठे कदमों से ग्रामीण/कृषक समुदाय के लिए कम अवधि के हिसाब से जोखिम कम होगा।

डीबीएस बैंक में वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा, 'धन हस्तांतरण के लक्षित समर्थन से मौसम के कारण उत्पादन में हुए नुकसान की भरपाई की जा सकती है। ऐसी योजनाओं में ज्यादा कृषि बीमा आवंटन, ग्रामीण रोजगार योजनाओं में अधिक आवंटन, सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना आदि शामिल है।Ó

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