कई राज्यों को अपने कमाई का करीब 23 प्रतिशत हिस्सा कर्ज चुकाने मे लगाना होगा : प्रो गोविंद जी पांडे

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कई राज्यों को  अपने कमाई का करीब 23 प्रतिशत हिस्सा कर्ज चुकाने मे लगाना होगा : प्रो गोविंद जी पांडे


भारत मे मुफ्तखोरी की बढ़ती परंपरा को अगर आगे चल कर रोक नहीं गया तो हम भी उन देशों की श्रेणी मे या सकते है जहां पर आर्थिक संकट गहरा गया है | पीआरएस द्वारा जारी किए गए स्टेट्स ऑफ स्टेट फंड की रिपोर्ट पर हम अगर नजर डाले तो आने वाला समय हमे इस बात का इशारा कर रहा है की राज्य सरकार मुफ्तखोरी को बढ़ावा न दे | जनता जो टैक्स दे रही है उसके धन का प्रबंधन सुविधा बढ़ाने और संसाधनों को उच्च कोटि का करने मे लगाना चाहिए न कि फ्री मे बांटना चाहिए |

इस रिपोर्ट के आँकड़े आँख खोल देने वाले है और अगर हम इस पर नजर डाले तो हमे पता चलता है की तमिलनाडु , पंजाब को अपनी आय का 21 फीसदी तो वही पश्चिम बंगाल को 17 फीसदी सिर्फ कर्ज चुकाने मे देना पड़ेगा | इस मामले मे उत्तर प्रदेश अभी ठीक है जहां ये राशि 10 फीसदी है | पर इसे आगे नहीं बढ़ने देना चाहिए |

केरल को 17 फीसदी , कर्नाटक को 15 और राजस्थान को अपनी आय का 15 फीसदी सिर्फ कर्ज चुकाने मे देना होगा | ये जितनी भी सरकार है वो सब चुनाव जीतने के लिए मुफ्तखोरी को बढ़ावा दे रही है | समय रहते न चेतने पर ये राशि और बाद सकती है -

श्रीलंका मे आया संकट तो सिर्फ छः लाख करोड़ का है पर भारत मे तो इतने से थोड़ा काम ही कई राज्यों का कर्ज है | कई राज्य अपने खर्चे से निपटने के लिए केंद्र के पास जा रहे है पर केंद्र सरकार को इनके फ्री मे बाटने के लिए पैसे नहीं देने चाहिए |

राज्यों मे आय कम और खर्च ज्यादा हो रहा है | अब समय या गया है की ये राज्य कड़े उपाय ले कर अपनी माली हालत को सुधारे|

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