दाल मिलों की कमजोर लिवाली से साबुत मूंग 500 रुपए टूटा
दाल मिलों की मांग घटने से स्थानीय थोक बाजारों में मूंग की कीमतें काफी नीचे आ गई हैं। जयपुर मंडी में साबुत मूंग (एमपी) 8200 रुपए तथा केकड़ी लाइन का...
दाल मिलों की मांग घटने से स्थानीय थोक बाजारों में मूंग की कीमतें काफी नीचे आ गई हैं। जयपुर मंडी में साबुत मूंग (एमपी) 8200 रुपए तथा केकड़ी लाइन का...
दाल मिलों की मांग घटने से स्थानीय थोक बाजारों में मूंग की कीमतें काफी नीचे आ गई हैं। जयपुर मंडी में साबुत मूंग (एमपी) 8200 रुपए तथा केकड़ी लाइन का मूंग 8300 रुपए प्रति क्विंटल बेचा जा रहा है। एक माह पूर्व मूंग करीब 8800 रुपए प्रति क्विंटल बिक गया था। वर्तमान में इसमें 500 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई है। गर्मी वाली मूंग लगभग सभी प्रांतों से आ रही है।
दाल की बिक्री कमजोर रहने से पिछले दो सप्ताह के दौरान मूंग में अच्छी गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि मंडियों में पुरानी मूंग का प्रैशर काफी कम रह गया था। मगर पिछले माह से ही उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, उड़ीसा एवं मध्य प्रदेश आदि सभी राज्यों की मूंग बाजार में आने लगी है। परिणामस्वरूप स्टॉकिस्टों की घबराहटपूर्ण बिकवाली देखी जा रही है। दिल्ली में मध्य प्रदेश की तीन किलो कंडीशन वाली मूंग हाल ही मंदी होकर 8200 रुपए प्रति क्विंटल बिकने की खबर है। इस बीच राजस्थान की पुरानी मूंग के भाव 8000 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास रह गए हैं।
पिछले साल अक्टूबर में सीजन पर राजस्थान की मूंग कर्नाटक के कारोबारियों द्वारा सिंडीकेट बनाकर भारी तेजी ला दी गई थी। जो आज तक भी व्यापारियों को सीजन वाले भाव नहीं मिल पाए हैं। अब नई मूंग सभी प्रांतों की आने लगी है। गौरतलब है कि खरीफ एवं रबी दोनों ही सीजन में मूंग की पैदावार होती है। पिछले साल मूंग का उत्पादन 38 लाख टन हुआ था, जबकि इस बार 46 लाख टन होने का अनुमान आ रहा है। मध्य प्रदेश की मंडियों में बिजाई अधिक होने से मूंग का दबाव पिछले दिनों बढ़ा था तथा जिस प्रकार पिछले दो महीनों में वहां आवक घटी है। इसे देखते हुए मूंग में अब मंदे की गुंजाइश नहीं है। इसके अलावा दाल मिलों में भी स्टॉक ज्यादा नहीं है। लिहाजा कहा जा सकता है कि मूंग में 100-200 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी मंदी चलती रहेगी।