नीति आयोग ने शुरू किया ट्रांजिशन योजना बनाने का काम

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नीति आयोग ने शुरू किया ट्रांजिशन योजना बनाने का काम
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भारत के 2070 तक 'नेट जीरो अर्थव्यवस्था बनने की घोषणा के तीन साल बाद इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नीति बनाने का काम शुरू हो गया है। नीति आयोग ने भारतीय अर्थव्यवस्था को जीरो-कार्बन लक्ष्य हासिल करने में मदद करने के लिए ट्रांजिशन योजना तैयार करने हेतु विशेष रूप से विभिन्न क्षेत्रों की समितियों का गठन किया है।

नीति आयोग ने इस साल अप्रैल में कार्यालय ज्ञापन में कहा था, 'यूएनएफसीसीसी में जलवायु परिवर्तन पर भारत की प्रतिबद्धता, विकास की जरूरतों और 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने को ध्यान में रखते हुए ये कार्यसमूह गठित किए हैं। इस कार्यसमूह का उद्देश्य चुनौतियों की पहचान करना, विकास की राह तैयार करना और जलवायु परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं पर नीतिगत कार्रवाई का सुझाव देना है।

इस ज्ञापन का शीर्षक है- नेट जीरो पर राष्ट्रीय संकल्प को पूरा करने के लिए मार्ग विकसित करने और इसे प्राप्त करने के लिए रणनीतियों एवं हस्तक्षेपों का प्रस्ताव करने के लिए अंतर मंत्रालय कार्यसमूह का गठन। इन कार्यसमूह में वर्तमान और पूर्व सरकारी अधिकारियों, क्षेत्र के नियामकों, फाइनैंसरों, विशेषज्ञों, शिक्षाविद, उद्योग के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है।

वर्ष 2021 में भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हुआ था जिन्होंने नेट कार्बन जीरो अर्थव्यवस्था बनने के लिए लक्ष्य वर्ष निर्धारित किया है। ब्रिटेन के ग्लासगो में आयोजित कॉप26 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के लिए पांच आयामी 'पंचमित्र जलवायु कार्रवाई का लक्ष्य दिया था और अमेरिका, ब्रिटेन तथा चीन की तर्ज पर 2070 तक नेट जीरो लक्ष्य हासिल करने की प्रतिबद्धता जताई थी।

उस समय प्रधानमंत्री ने जिन पांच लक्ष्यों का जिक्र किया था उनमें 500 गीगावाट का गैर-जीवाश्म क्षमता विकसित करना और 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से 50 फीसदी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना, कार्बन उत्सर्जन को 1 अरब टन तक घटना और कुल कार्बन इन्वेंट्री में 45 फीसदी तक कमी लाना शामिल है।

'पंचमित्रÓ के चार अन्य लक्ष्य मूर्त हैं और उनमें उल्लेखनीय प्रगति देखी गई है। यह पहला मौका है जब नेट जीरो लक्ष्य की दिशा में नीति के स्तर पर हस्तक्षेप शुरू किया गया है। नीति आयोग ने 6 कार्यसमूहों का गठन किया है जो नीति प्रारूप, कामकाज के तरीकों और बुनियादी क्षेत्रों के लिए इसे अपनाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने में वृहद आर्थिक प्रभाव, जलवायु फानैंस, महत्त्वपूर्ण खनिजों – शोध एवं विकास और घरेलू विनिर्माण तथा आपूर्ति श्रृंखला, ऊर्जा ट्रांजिशन के सामाजिक पहलुओं, नीति सारांश और परिवहन, उद्योग, इमारतों, बिजली तथा कृषि के लिए 6 क्षेत्रीय कार्यसमूह गठित किए गए हैं।

इन समूहों की रिपोर्ट का नीति आयोग मिलान करेगा और एक समेकित रिपोर्ट तैयार की जाएगी। सभी समूहों को अक्टूबर तक अपनी कार्ययोजना सौंपने के लिए कहा गया है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट जलवायु अनुकूल नीतियों का मसौदा तैयार करने के लिए सभी मंत्रालयों के लिए नीति पुस्तिका बनेगी।

नीति आयोग के ज्ञापन के अनुसार वृहद आर्थिक कार्यसमूह सकल घरेलू उत्पाद, चालू खाते का घाटा, राजकोषीय घाटा, रोजगार, कर राजस्व आदि पर नेट जीरो के असर का मूल्यांकन करेगा और सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप मौद्रिक और वित्तीय नीतियों की सिफारिश करेगा।

नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी की अध्यक्षता वाले इस समूह में आर्थिक मामलों का विभाग, पर्यावरण, बिजली, पेट्रोलियम, श्रम एवं रोजगार मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इसके साथ ही इसमें इक्रियर, मैकिंजी, टेरी, आईआईएम-अहमदाबाद, आईआरएडीई, सीईईडब्ल्यू के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।

इसी तरह जलवायु फाइनैंस पर कार्यसमूह विभिन्न क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भारत के लिए जलवायु फाइनैंस की जरूरतों का अनुमान लगाएगा। नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी की अध्यक्षता वाले इस समूह में वित्त मंत्रालय और एडीबी, विश्व बैंक जैसी बहुतराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसियों एवं मूडीज जैसी रेटिंग एजेंसियों के सदस्य शामिल हैं।

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