पहाड़ी लहसुन की दक्षिण भारत की मंडियों में भारी डिमांड

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पहाड़ी लहसुन की दक्षिण भारत की मंडियों में भारी डिमांड
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शिमला- बारिश व अंधड़ का दौर बंद होने से जुन्गा क्षेत्र में इन दिनों किसानों ने लहसुन की फसल निकालने का कार्य प्रगति पर है। लहसुन की फसल को किसानों द्वारा खुदाई के उपरांत सुखाया जा रहा है हालांकि लहसुन की फसल करीब 15 दिन पहले तैयार हो चुकी थी परंतु लगातार बारिश के कारण लहसुन की खुदाई का कार्य बाधित हो रहा था। बता दें असमय बारिश होने से लहसुन की फसल काफी प्रभावित हुई है। बारिश से खेतों में अत्यधिक नमी आने से लसुहन का रंग काला और उसकी पंखुड़ियां खिलने लग गई है जिससे लसुहन का रंग काला पड़ने से किसान को मार्केटिंग की समस्या सताने लगी है। गौरतलब है कि सिरमौर की तर्ज पर जुन्गा क्षेत्र में भी किसानों ने लहसुन उत्पादन का अपनी आजीविका का साधन बनाया है।

हर वर्ष सैंकड़ों टन लहसुन इस क्षेत्र से प्रदेश व दक्षिण भारत की मंडियों में पहुंचता है। प्रगतिशील किसान सुरेन्द्र ठाकुर, प्रीतम ठाकुर ने बताया कि इस क्षेत्र में उत्पादित लहसुन की दक्षिण भारत की मंडियों में बहुत डिमांड हैं चूंकि सिरमौर व इस क्षेत्र का लहसुन औषधि के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। आढ़ती विनोद शर्मा ने बताया कि सोलन मंडी में लहसुन की आवक काफी बढ़ रही है और इन दिनों अच्छी क्वालिटी के लहसुन 90 से 110 रूपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है। कृषि विभाग के अनुसार शिमला जिला में लहसुन का उत्पादन केवल चार ब्लॉक मशोबरा, बसंतपुर, रामपुर और चौपाल के नेरवा क्षेत्र में किया जाता है जिसमें अधिकतर पार्वती किस्म उगाई जाती है। विभागीय अधिकारी का कहना है कि शिमला जिला के निचले क्षेत्रों में करीब 21 हैक्टेयर भूमि पर लहसुन का उत्पादन किया जाता है जिसमें औसतन 2500 मिट्रिक टन लहसुन पैदा होता है। बताया लसुहन की खेती जुन्गा क्षेत्र में काफी बड़े पैमाने पर की जाने लगी है जोकि किसानों की आय का एक सशक्त साधन बन चुका है ।

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