सूचना के अधिकार दायरे में आएगा मुख्य न्यायाधीश का दफ्तर

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सूचना के अधिकार दायरे में आएगा मुख्य न्यायाधीश का दफ्तर
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बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया जिससे भारत में सूचना के अधिकार कानून को बल मिलेगा।अभी तक यही शोर को सूचना के अधिकार कानून से बाहर थे अब उनको भी सूचना के अधिकार दायरे में लाया जा रहा है। 17 नवंबर को रिटायर होने जा रहे हैं रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच सदस्यीय संविधान पीठ में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के ऑफिस को भी आरटीआई के दायरे में लाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के 2010 के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है।


सुप्रीम कोर्ट के जजों ने अपने फैसले में कहा कि जजों का पद संवैधानिक है और वह पब्लिक ड्यूटी भी देते हैं इसलिए उनके ऑफिस को अलग नहीं किया जा सकता। न्यायपालिका की आजादी बहुत ही महत्वपूर्ण है पर उतना ही महत्वपूर्ण है पारदर्शी होना भी है और सूचना के अधिकार से पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।

सूचना के अधिकार के तहत अगर कोई व्यक्ति न्यायपालिका से सूचनाएं मांगता है तो उसे बताना होगा की मांगी गई सूचना से जनता का क्या फायदा होगा। निजता के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए पर पारदर्शिता को भी बढ़ावा मिलना चाहिए अगर किसी की निजता प्रभावित होती है तो ऐसी सूचना नहीं दी जाएगी पर अगर उससे जनता का हित जुड़ा हुआ है तो ऐसी सूचनाएं साल की जा सके।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए इस ऐतिहासिक फैसले हैं खत्म हो रहे सूचना के अधिकार कानून को संजीवनी देने का काम किया है और यह कानून पुनः इस कानून की मजबूती को स्थापित करेगा।

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