दुष्कर्म मामले में जेल में सजा काट रहे युवक निकले निर्दोष , सात साल सजा काटने के बाद आयी याद
अपनी तरह के एक अनोखे मामले में जंहा एक और पुलिस की लापरवाही सामने आयी वही संसाधन की कमी होने के कारण दो युवक जेल में बिना किसी अपराध के सजा काट रहे थे...


अपनी तरह के एक अनोखे मामले में जंहा एक और पुलिस की लापरवाही सामने आयी वही संसाधन की कमी होने के कारण दो युवक जेल में बिना किसी अपराध के सजा काट रहे थे...
अपनी तरह के एक अनोखे मामले में जंहा एक और पुलिस की लापरवाही सामने आयी वही संसाधन की कमी होने के कारण दो युवक जेल में बिना किसी अपराध के सजा काट रहे थे - पर हैरानी इस बात की है की जिसने आरोप लगाया वो ही कह रहा है की कोई दुष्करण नहीं हुआ - अब इन बेकसूर लोगो को जिन्होंने सात साल बेवजह जेल में बिता दिया को समाज क्या देगा -
प्रकरण में विवेचक की घोर लापरवाही सामने आई है। मामला अमेठी जिले के जामों क्षेत्र के एक गांव का है। दो मार्च 2013 को गांव की एक युवती ने रामकुमार व रामकिशोरपर अपनी बहन के साथ दुष्कर्म का आरोप लगाया। पुलिस ने मुकदमा दर्जकर चार दिन बाद दोनों को जेल भेज दिया। उनके मां-बाप की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। पैरवी करने व जेल में हालचाल जानने वाला कोई
नहीं है। इस समय दोनों जिला जेल के अस्पताल में भर्ती हैं। जब यह मामला द्रुतगामी न्यायालय की जज
पूनम सिंह के संज्ञान में आया तो उन्होंने पत्रावली का परीक्षण किया। जिसमें पीड़िता ने साफ कहा कि
उसके साथ कोई दुष्कर्म नहीं हुआ। जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि न्यायालय का प्रतिपादित सिद्धांत
है कि सौ दोषी छूट जाएं, लेकिन एक निर्दोष को कतई सजा नहीं होनी चाहिए।
शिवांग