मांस विक्रेता का पीटने का मामला, गोरक्षा वाहिनी ने कहा वो नहीं है सम्बद्ध
भारत में भीड़ की हिंसा का मसला तभी जोर पकड़ता है जब उसमे कोई अल्पसंख्यक होता है | ऐसे घटनाओं की कमी नहीं है जंहा भीड़ ने हिंसा की और लोगो के घर जला दिए...


साभार : सोशल मीडिया
भारत में भीड़ की हिंसा का मसला तभी जोर पकड़ता है जब उसमे कोई अल्पसंख्यक होता है | ऐसे घटनाओं की कमी नहीं है जंहा भीड़ ने हिंसा की और लोगो के घर जला दिए...
भारत में भीड़ की हिंसा का मसला तभी जोर पकड़ता है जब उसमे कोई अल्पसंख्यक होता है | ऐसे घटनाओं की कमी नहीं है जंहा भीड़ ने हिंसा की और लोगो के घर जला दिए पर मीडिया के एक वर्ग को वो हिंसा दिखाई नहीं देती |
वैसे हिंसा कोई भी करे वो दोषी होता है और उसपर कड़ी कार्रवाई करना शासन का काम है , पर इस तरह की हिंसा को बिना जांचे परखे जब धर्म के नाम पर नेशनल मीडिया दिखाने लगता है तो वो दूसरे वर्ग को भड़काने का काम भी करता है |
यूपी: मांस विक्रेता को कथित गौरक्षकों ने पीटा, पुलिस ने पीड़ित पर दर्ज की एफआईआरhttps://t.co/T36SfPVgVG#UttarPradesh #MeatTrader #uppolice #उत्तरप्रदेश #मुरादाबाद #मांसविक्रेता #यूपीपुलिस
— द वायर हिंदी (@thewirehindi) May 24, 2021
अब अगर इसी घटना को ले तो इसमें कार्रवाई हुई और दोनों पक्षों के ऊपर कानून के उल्लंघन का आरोप लगा | पर पूरी घटना को द वायर ने धर्म का चश्मा पहन कर देखा और खबर पढ़ने के बात आपको ये लग जाएगा की ये रिपोर्टर की अपनी कहानी है सत्य नहीं | पत्रकारिता में सत्य को स्थापित करने की जगह बड़े मीडिया घराने आजकल अश्वथामा मारा गया किन्तु हाथी पत्रकारिता के वाहक है |
इस तरह की पत्रकारिता में तथ्य सही होते है पर उसको ऐसे प्रस्तुत किया जाता है कि एक पक्ष सत्य और दूसरा असत्य का साथ देता प्रतीत होता है | चाहे वो एनडीटीवी के रवीश कुमार हो जो इसी तरह की पत्रकारिता में महारथ हासिल किये हुए है और चाहे द वायर के पत्रकार , सब अर्धसत्य का गान कर पक्ष विपक्ष खड़ा कर देते है और जनता उनके मायाजाल में फंस जाती है |
मांस विक्रेता कोई भी हो सकता है पर जब द वायर उसको मुस्लिम मांस विक्रेता लिखता है तो उसकी खबर में पूरा मशाला लग जाता है और वो टुंडे कवाब की तरह मशहूर हो जाता है | अगर सिर्फ मांस विक्रेता लिखते तो जनता समझ नहीं पाती और हिन्दू - मुसलमान न होता | पर सत्यवादी हरिश्चंद्र से प्रेरणा ले पत्रकारिता का धर्म निभाने वाले द वायर के पत्रकार को कहाँ चैन मिलता | इन्होने पूरा सत्य लिखा और जनता को हिन्दू -मुस्लिम करने का पूरा मौका दिया |