मोबाइल सिम का जखीरा पकड़ा गया , पर कम्पनी को क्यों नही खबर

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मोबाइल सिम का जखीरा पकड़ा गया , पर कम्पनी को क्यों नही खबर

सोशल मीडिया पर घृणा और फेक न्यूज़ फ़ैलाने वालो का जाल है | ये सारा खेल होता है मोबाइल के सिम से | पर बड़े आश्चर्य की बात है कि आम आदमी को एक सिम लेने के लिए आँख , हाँथ और कई तरह की आइडेंटिटी देनी पड़ती है पर ये ३००० से ज्यादा सिम के लिए क्यों जरुरत नहीं पड़ी | क्या ये सिम किसी दुकान से लिए गया या फिर सीधे कम्पनी से |

आजकल नाम बदल कर फेक न्यूज़ और घृणा फ़ैलाने वाले सूचना की सोशल मीडिया में बाढ़ आ गयी है और उसमे सबसे बड़ी भूमिका ये मोबाइल सिम निभाता है | आप जब तक मोबाइल नंबर नही देंगे तो आपका अकाउंट नहीं खुलेगा| पर यहाँ तो उल्टी गंगा बह रही है | सिम की बाढ़ है और उसमे कम्पनी भी डुबकी लगा रही है |

ये मोबाइल सिम राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल होते है इसीलिए इनको देने से पहले दूकानदार पूरी सूचना लेता है पर इनका इस तरह थोक में मिलना कंपनी , दुकानदारों को शक के घेरे में खड़ा करता है |


इसी तरह रांची में जावेद अहमद नाम के आदमी से एटीएस ने दस हजार सिम कार्ड बरामद किया | उसके पास से एक सिम बॉक्स मिला जिसमे सैकड़ो सिम एक साथ लगाकर नफरत भरी सूचना सोशल मीडिया पर फ़ैलाने का शक है | इस तरह के लोग अवैध पैसे के लेनदेन और आतंकवादियों के साथ मिलकर सूचना के आदान प्रदान का काम करते है |

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