गाँधी जी साबरमती के संत तो थे ही वो साइबरमती के संत भी है : प्रो संजय द्विवेदी

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गाँधी जी साबरमती के संत तो थे ही वो साइबरमती के संत भी है : प्रो संजय द्विवेदी


महात्मा गाँधी के १५१ वी वर्षगाँठ पर सिल्वर जुबली समिति और जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग के तत्वाधान में आयोजित राष्टीय वेबिनार में मुख्यवक्ता, महानिदेशक, भारतीय जन संचार संस्थान, प्रो संजय द्विवेदी ने गाँधी जी के जीवन और पत्रकारिता की वर्तमान समय में प्रासंगिकता पर बोलते हुए कहा कि वो सिर्फ साबरमती के संत ही नहीं है वो अब साइबरमती के भी संत है - उन्होंने बताया की जिस तरह गाँधी जी के बारे में लोग इन्टरनेट पर सर्च करते हो वो उन्हें इसी श्रेणी में ले कर जाता है -

मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए उन्होंने कहा कि आज अगर हम गाँधी जी के तीन बंदरो की तरह ये प्रतिज्ञा ले ले की हम बुरा नहीं टाइप करेंगे , बुरा नहीं लाइक करेंगे और बुरा नही शेयर करेंगे तो समाज में फेक न्यूज़ की समस्या से निपटा जा सकता है - द्विवेदी जी ने बताया की किस तरह गाँधी जी के लिए पत्रकारिता विचार था और आज समाचार के नाम पर क्या क्या नहीं परोसा जा रहा है -

गाँधी जी ने कहा था की उनका जीवन ही सन्देश है और ये बाते तब और सच हो जाती है जब पुरे भारत के लोग उनके सिर्फ शारीरिक भाव को पढ़ कर उनके पीछे चलने लगते थे, जब भारत में आधुनिक संचार के साधन नही थे तब भी उनकी बाते हवा की तरह जन –जन में पहुच जाती थी और लाखों , करोडो की संख्या में लोग उनके पीछे चलने लगते थे -

प्रो द्विवेदी ने बताया की किस तरह गाँधी कई भाषा में लिखा करते थे और वो वकील कम पत्रकार ज्यादा थे - उनकी लेखनी की शुरुआत वेजिटेरियन में लेख लिख कर शुरू हुई और वो जिंदगी भर शाकाहार का प्रचार भी करते रहे -

उन्होंने बताया कि आज की पत्रकारिता को देख कर कई बार लगता है कि गाँधी प्रासंगिक नहीं रहे पर जैसे ही गरीबो, वंचितों की बात आती है तो गाँधी की पत्रकारिता फिर से प्रासंगिक हो जाती है - प्रो द्विवेदी ने कहा कि अगर हम गाँधी जी के सिद्धांतो को अपना ले तो हमें किसी प्रकार का खंडन नहीं करना होगा जैसे गाँधी जी ने अपनी पत्रकारिता में कभी खंडन नहीं प्रकाशित किया क्योंकि उनकी पत्रकारिता का विचार सत्य पर आधारित था -

संगोष्ठी की शुरुआत में प्रो. गोविन्द जी पाण्डेय , विभागाध्यक्ष , जनसंचार एवं पत्रकारिता ने सभी का स्वागत करते हुए संगोष्ठी के बारे में बताया - उन्होंने बताया कि आंबेडकर यूनिवर्सिटी के रजत जयंती वर्ष समारोह कमेटी के द्वारा आयोजित ये कार्यक्रम किस प्रकार लगातार आयोजित किये जा रहे कार्यक्रमों की श्रंखला की एक कड़ी है और इस क्रम में अगले वर्ष दस जनवरी तक लगातार आयोजन होते रहेन्गे -

रजत जयंती वर्ष समारोह कमेटी के अध्यक्ष प्रो. सनातन नायक ने गाँधी जी के आर्थिक विचारो को बताते हुए देश के दुसरे महान सपूत और प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन और मूल्यों की चर्चा की - उन्होंने बताया की किस तरह से उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार पर लगाम लगी और कई लोगो को इस्तीफा देना पड़ गया -





उन्होंने ने गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री को देश के दो महान सपूत बताया और कहा कि इनके जीवन से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए -

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय सिंह ने उपस्थित सभी लोगो को स्वागत करते हुए रजत जयंती कमेटी के लोगो को बधाई दी की वो लगातार अच्छा काम कर रहे है - उन्होंने बताया कि हमें महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए - प्रो सिंह ने उपस्थित लोगो को संबोधित करते हुए कहा कि आज गाँधी के आदर्श और ज्यादा प्रासंगिक हो गए है - आज की पत्रकारिता में गाँधी जी के विचारो को जगह देने पर समाज का कल्याण होगा और पत्रकारिता में जो गिरावट आई है उसको भी ठीक किया जा सकता है -

प्रो संजय सिंह ने कहा कि आज का समाज इन महापुरुषों के जीवन से बहुत कुछ सीख सकता है | उन्होंने बताया की किस तरह लालबहादुर शास्त्री जी पैसा न होने पर रामनगर से गंगा तैर कर पार करते थे और पढने आते थे - इन महापुरुषों ने जीवन में कमी को अपने पुरुषार्थ से विजय पायी और देश के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया -

वेबिनार के अंत में प्रो. गोविन्द जी पाण्डेय ने गोष्ठी के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि पत्रकारिता लोकहित में बहने वाली नदी है जो प्रदूषित हो चुकी है - अगर हम नदी से जीवन मूल्यों को ग्रहण करना चाहते है तो हमे उसके प्रदूषण को ख़त्म करना होगा -


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