- National
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये : बचपन एक्सप्रेस
- Education
यूजीसी ने नेशनल एकेडमिक क्रेडिट बैंक सुविधा की शुरुआत के लिए मांगी सलाह
- Techblog
श्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा फायदेमंद गति शक्ति पर बल देने के कारण चेन्नई बंदरगाह के प्रमुख बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिला
- Education
Re-Understanding Media, Feminist Extensions of Marshall McLuhan, Edited by Sarah Sharma and Rianka Singh
- National
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये : बचपन एक्सप्रेस
- Employment
राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में नौकरी के करे आवेदन
- States
BSF's Tiranga rally in Srinagar is led by LG Manoj Sinha
- National
PM mourns the loss of renowned stock trader Rakesh Jhunjhunwala
- National
ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी के अनुसार 19 को स्मार्त व 20 को वैष्णव मतावलम्बी मनाएंगे जन्माष्टमी
- Religion
संकष्ठी (बहुला) श्रीगणेश चतुर्थी कल मनाई जाएगी ,चंद्रोदय, रात 9.04 बजे
हमें गांधी जी के जीवन संघर्ष व उनके विचारों को जानने व उससे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है: प्रो. कपिल देव मिश्र
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा गांधी जी की 150 वीं वर्षगांठ के अवसर पर "गांधीजी के विचारों की...


बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा गांधी जी की 150 वीं वर्षगांठ के अवसर पर "गांधीजी के विचारों की...
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा गांधी जी की 150 वीं वर्षगांठ के अवसर पर "गांधीजी के विचारों की प्रासंगिकता एवं वर्तमान जनमाध्यम" विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन आज दिनांक 01 अक्टूबर 2020 को दोपहर 2:00 बजे से किया गया।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम के संरक्षक विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने कहा कि आज हम गांधी जी की 151वीं वर्षगांठ मनाने के लिए इस कार्यक्रम का हिस्सा बने है, विवि परिवार के लिए बेहद सुखद है कि इस वर्ष हमारा विश्वविद्यालय भी अपनी 25वी वर्षगांठ मना रहा है, इसके अंतर्गत हमारे विश्वविद्यालय द्वारा कई सारे कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस अवसर पर उन्होंने सभी को बधाई देते हुए कहा कि गांधी जी के जीवन पर हम कितनी चर्चा करते हैं और कितना हम उनके विचारों को आत्मसात करते हैं, इसका विश्लेषण करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि किसी विचार को जन आंदोलन में कैसे परिवर्तित किया जाता है, उसकी सीख हमें महात्मा गांधी से लेनी चाहिए।ऐसे महापुरुषों को याद करने का क्या ध्येय होना चाहिए , हमें इस पर भी विचार करने की आवश्यकता है। कुलपति जी ने कहा कि महात्मा गांधी स्वच्छ भारत के विचार के प्रेरणा स्रोत हैं और हमारा विश्वविद्यालय भी उन्हीं के आदर्शों पर चलते हुए स्वच्छता और शारीरिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रयासरत रहता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर कपिल देव मिश्रा, कुलपति, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर, ने कहा कि हमारे जीवन में महान दर्शन हमारे महापुरुषों से प्राप्त होता है। एक साधारण व्यक्ति से, जिसके अपने सपने थें, जो एक साधारण परिवार से आया, वह कैसे आज हमारे समाज मे एक महात्मा के रूप में याद किया जाता है, इसके लिए हमें गांधी जी के जीवन संघर्ष व उनके विचारों को जानने व उससे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी पत्रकारिता को समाज के विकास के लिए आवश्यक मानते थे, इसी के चलते उन्होंने कई समाचार पत्रों का खुद ही प्रकाशन किया। वह समाज में समानता लाना चाहते थे । इसके लिए उन्होंने हरिजन नामक समाचार पत्र भी प्रकाशित किया। उन्होंने कहा कि गांधी जी की पत्रकारिता आज भी उसी तरह से प्रासांगिक और उन्होंने उसे पत्रकारिता की आधारभूत मूल्य के रूप में किया। उन्होंने आगे कहा कि गांधीजी हमेशा स्वदेशी अपनाने की बात करते थे और आज हमारे प्रधानमंत्री भी लोकल फॉर वोकल की बात करते हैं। हम आज आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ रहे हैं। हमारे देश में स्वच्छता को लेकर स्वच्छ भारत का एक बहुत विस्तृत अभियान चल रहा है, गांधीजी उस अभियान के प्रेरणा स्रोत हैं जो भारत में स्वच्छता के लिए लोगों को प्रेरित करते थे। उनका यह विचार आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने युवाओं को गांधी जी के जीवन से प्रेरणा लेने की सलाह दी।
इसे इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ जतिन श्रीवास्तव, सह आचार्य, निदेशक, अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता संस्थान , ओहायो विश्वविद्यालय, यू0एस0ए0, ने कहा कि, भारतीय संस्कृति हमेशा विश्व में ज्ञान के केंद्र के रूप में रही है, जिससे विश्व ने प्रेरणा ली है। उन्होने कहा कि जब 20वीं सदी का नागरिक अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा था, तो उस समय जिन देशों के नागरिकों ने अपने अधिकारों के लिए जंग लड़ी और वे सभी कहीं न कहीं गांधी जी के विचारों से प्रभावित थे। गांधी जी के सविनय अवज्ञा के सिद्धांत को पूरे विश्व ने माना। कॉपीराइट को लेकर गांधी जी के विचारों पर चर्चा करते हुए प्रोफेसर मिश्रा ने कहा कि, गांधीजी कॉपीराइट के खिलाफ थे, वे इसे ज्ञान के प्रसार में रुकावट के तौर पर देखते थे, और इसे बाज़ारवाद को बढ़ावा देने वाला मानते थें। उनके द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र इंडियन ओपिनियन में सदैव 'नो राइट्स रिजर्व्ड' लिखा होता था। वे मानते थे कि जानकारी को साझा करना चाहिए और आज न्यू मीडिया के दौर में उनकी वह सोच बेहद प्रासंगिक है जब सोशल मीडिया पर उपलब्ध जानकारी हज़ारों, लाखों बार साझा की जाती है। इसके साथ ही गांधीजी समाचार पत्रों में विज्ञापनों के प्रकाशन को गलत मानते थे।
श्री क्रिस्चियन बर्तोल्फ़, अध्यक्ष, गांधी इनफॉरमेशन सेंटर, बर्लिन, जर्मनी, ने कहा कि गांधीजी एक किसी पार्टी के लीडर नहीं थे बल्कि वह पूरे देश के नेता थे और भारत बहुत ही भाग्यशाली है जो उसे गांधी जी जैसा महान नेतृत्व प्राप्त हुआ । गांधीजी भ्रामक खबरों के प्रकाशन को एक संजीदा अपराध मानते थे, वे समाज मे हमेशा तथ्यपरक, निष्पक्ष व संतुलित खबरों को प्रकाशन पर जोर देते थे। गांधीजी समालोचनात्मक पत्रकारिता और विचारों को बढ़ावा देने के पक्षधर थे। वे विचारों में खुलापन लाने की बात कहते थे। इसके साथ ही उन्होंने पत्रकारों के एथिकल कोड्स के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पत्रकारों में मानवता, निष्पक्षता, जवाबदेही, विश्वसनीयता व पारदर्शिता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के सोशल मीडिया में दौर को, जब भ्रामक खबरें तेजी से फैल रही हैं, ऐसे में मीडिया के लिए अपनी विश्वसनीयता को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है।
इस अवसर पर ही विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रोफेसर सनातन नायक, विभागाध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग, बीबीएयू, ने समाज के विकास के लिए गांधी जी द्वारा प्रदर्शित विभिन्न आयामों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी उस समय भी सतत विकास के महत्व को समझते थे,वे कहते थे कि, 'प्रकृति सभी की जरूरतें पूरी कर सकती है, मगर सब का लालच नहीं पूरा कर सकती है।' इसलिए हमें प्रकृति का दोहन सोच समझ कर करना चाहिए। उनका यह संदेश आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
विभाग के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर गोविंद जी पांडे ने कार्यक्रम के विषय पर चर्चा करते हुए बताया कि गांधीजी समाज के विकास, बदलाव और स्वतंत्रता के लिए मीडिया को सबसे मजबूत हथियार मानते थे। वे मानते थे कि समाचार पत्र समाज में नई चेतना जागृत करने में बेहद अहम है। डॉ0 लोकनाथ ने कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रस्तुत की।
कार्यक्रम के संयोजक, विभाग के सहायक आचार्य, डॉ अरविंद सिंह ने कार्यक्रम का आरंभ एवं का संचालन किया ।
मीडिया एवं जनसंचार विद्यापीठ के अध्यक्ष, प्रोफेसर गोपाल सिंह, ने वेबिनार कार्य क्रम के अंत में सभी अतिथियों, शिक्षकों, विद्यार्थियों व देश-विदेश से जुड़े वक्ताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर विभाग के समस्त शिक्षक व आयोजन समिति के सदस्य डॉ महेंद्र कुमार पाढी, डॉ0 रचना गंगवार, डॉ सुरेंद्र बहादुर कार्यक्रम में उपस्थित रहे।