उम्मीद देने के पैरोकार डॉ सत्य प्रकाश आज खुद मायूस: एक दुखद सत्य

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उम्मीद देने के पैरोकार डॉ सत्य प्रकाश आज खुद मायूस: एक दुखद सत्य

बचपन एक्सप्रेस संवाददाता वाराणसी : कुलदीप

विदित हो कि, सरकार के सर्व शिक्षा अभियान को अपना अभियान बनाने वाले वैज्ञानिक डॉ सत्य प्रकाश पांडेय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पिछले 12 वर्षों से कार्य कर रहे हैं और वर्तमान महामारी काल में फेसबुक के माध्यम से विभिन्न विषयों पर वर्कशॉप चलाकर सामान्य जनमानस के बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने पर जोर दे रहे हैं. पिछले 220 दिन से अनवरत प्रयास के बाद, जब हमारे संवाददाता ने उनसे चर्चा की तब उन्होंने यह बताया कि लोगों में भले ही शिक्षा के प्रति मै जागरूकता फैला रहा हूं, परंतु मेरे अपने बच्चे को जो कक्षा एक का विद्यार्थी है, उसकी फीस न जमा कर पाने के अभाव में, सनबीम भगवानपुर के स्कूल ने उसे ऑनलाइन एजुकेशन से वंचित कर दिया है. शासकीय आदेश का हवाला देते हुए, विद्यालय ने सितंबर माह तक की पूरी फीस जमा करने का निर्देश ईमेल के द्वारा भेज कर, सूचित किया है कि, बच्चे को निर्बाध रूप से बेसिक एजुकेशन दिया जाएगा. लेकिन बेसिक एजुकेशन के नाम उसे किसी भी ऑनलाइन क्लास में शिक्षक के सामने प्रस्तुत होने का मौका नहीं दिया जा रहा है. डॉ सत्यप्रकाश ने अपनी विषम स्थिति का हवाला स्कूल के सामने दिया और विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के बीच में केंद्र के रेगुलराइजेशन के लिए पिछले 10 वर्षों से चल रही खींचतान को भी लिखकर प्रस्तुत किया, परंतु स्कूल प्रबंधन के ऑफिशियल कर्मचारी ने, यह लिखकर बताया कि आपके केस में डीएसटी यूजीसी और बीएचयू के बीच में चल रही प्रक्रिया अंतहीन है, जिसका इंतजार स्कूल नहीं कर सकता.

ज्ञात हो कि केंद्र को स्थापित हुए, 12 वर्ष हो गए हैं और इसकी सारी रिपोर्ट समय-समय पर यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन को, भारत सरकार को इस निवेदन के साथ प्रस्तुत की गई है कि स्टाफ को रेगुलराइज करना अत्यंत आवश्यक है, परंतु अभी भी पिछले 10 वर्षों से यह प्रक्रिया चल रही है. बिना वेतन वृद्धि के पिछले 12 वर्षों से एक ही वेतन देकर केवल डॉ सत्य प्रकाश ही नहीं यहां कार्य कर रहे अट्ठारह स्टाफ और उनका परिवार, विश्वविद्यालय के द्वारा इस तरह चलाई जा रही योजना का शिकार हो गया है. वर्तमान समय में उम्मीद के अलावा डॉ सत्य प्रकाश के पास कोई अन्य चारा नहीं है, जिससे वे अपने बच्चे की फीस जमा कर सकें. ज्ञात हो कि सनबीम स्कूल में, विश्वविद्यालय मे काम कर रहे लगभग सभी शिक्षकों, कर्मचारियों के बच्चे पढ़ते हैं, परंतु उन शिक्षकों का वेतन, डॉ सत्यप्रकाश के वेतन से लगभग 10 गुना है. कुछ दिन पहले प्रोफेसर जी पी दुबे, जो केंद्र के स्टडी डायरेक्टर हैं उनसे चर्चा में, हमारे संवाददाता को बताया गया था कि, बहुत जल्द वे कुलपति से कर्मचारियों को कंफर्म कराने के लिए बात करेंगे, जिससे कर्मचारियों को पूरा वेतन दिया जा सके. इस बीच में, सनबीम स्कूल द्वारा दिखाया जा रहा अड़ियल व्यवहार, एक शिक्षा समाजसेवी के साथ ठीक नहीं है.ज्ञात हो कि डॉ सत्य प्रकाश दीन दयाल उपाध्याय नगर मे प्रधानमंत्री जन कार्य योजना के उपाध्यक्ष भी है.

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