लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा जागरूकता कार्यशाला का आयोजन

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लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा जागरूकता कार्यशाला का आयोजन


लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ की सचिव श्रीमती सपना त्रिपाठी, संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर सी. पी. सिंह, और विधिक सहायता केंद्र के अध्यक्ष डॉ अनुराग कुमार श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में यौन उत्पीडन (निवारण, प्रतिबंध और प्रतिशोध) अधिनियम 2013 पर टाउन हाल इंटर कॉलेज,जानकीपुरम में दिनांक 27 जनवरी को एक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को प्रारंभ विद्यालय के प्रधानाचार्या श्रीमती ऋचा श्रीवास्तव द्वारा द्वीप प्रज्जवलित कर किया गया। इस कार्यशाला के सभा में उपस्थित सभी लोगों को जागरुक करते हुआ बताया गया कि समाज में महिलाओं को जगह - जगह पर प्रताड़ित किया जाता है, उनका यौन -शोषण किया जाता है। इसी यौन -उत्पीड़न से बचने के लिए सभा में उपस्थित लोगों को जागरुक करते हुए विधिक सहायता केंद्र के वक्ता सौरभ राठौर ने बताया गया कि समाज में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देनी चाहिए, लोग महिलाओं को उतनी प्राथमिकता नहीं देते जितना कि पुरषों को देते हैं। महिलाओं का यौन उत्पीडन एक आम बात हो गई है। अतः समाज के लोगों और महिलाओं को खुद इस शोषण के खिलाफ जागरुक रहना चाहिए। इसके बाद उन्होंने विधिक सहायता के बारे में जानकारी प्रदान की।

विद्यालय की एक छात्रा उमांशी के प्रश्न कि, उत्पीड़न और तंग क्या होते हैं ? के जवाब में सौरभ राठौर ने उत्तर दिया कि उत्पीड़न और तंग यौन उत्पीड़न के अंग हैं जिनके खिलाफ हमें तुरंत शिकायत दर्ज़ करनी चाहिए। सौरभ राठौर के उपरांत विधिक सहायता केंद्र की वक्ता कृतिका सिंह ने संगठित और असंगठित समूह के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 10 लोगों से कम गठित समूह को असंगठित तथा 10 लोगों से अधिक गठित समूह को संगठित समूह कहा जाता है। कृतिका सिंह से विद्यालय की छात्रा ऐश्वर्या ने एक प्रश्न किया कि पुरुष समुह इस यौन - उत्पीड़न से ग्रसित हो सकता है या नहीं ? के जवाब में कृतिका सिंह ने जवाब देते हुए बताया कि पुरुषों का भी यौन उत्पीड़न हो सकता है, लेकिन पुरुषों के लिए कोई अधिनियम पारित नहीं किया गया है। लेकिन पुरुष स्थानीय पुलिस थाना में यौन - उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं। कृतिका सिंहके बाद विधिक सहायता केंद्र की अगली वक्ता संजली शुक्ला ने आंतरिक तथा स्थानीय शिकायत समिति के बारे में लोगों को रुबरु कराया और विधिक सहायता केंद्र ,लखनऊ विश्वविद्यालय की तरफ से विद्यालय में एक आंतरिक शिकायत समिति को गठित करने की प्रार्थना की। इसके बाद विधिक सहायता केंद्र की अंतिम वक्ता नैना सिंह ने कार्यशाला की सारांश को प्रस्तुत किया। नैना ने बताया कि यौन -उत्पीड़न के खिलाफ हमें तुरंत कार्यवाही करनी चाहिए और हमें अपने अधिकारों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए और समाज को एक संतुलित ढांचे में ढालने का प्रयत्न करना चाहिए।

अराधना मौर्या

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