मंच सज चुका है , पुकार हो गयी है, और इस कवि की बोली आपके दिलो के तार को छेड़ने को व्याकुल है, अनंत यात्रा का शुभारम्भ

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मंच सज चुका है , पुकार हो गयी है, और इस कवि की बोली आपके दिलो के तार को छेड़ने को व्याकुल है, अनंत यात्रा का शुभारम्भ

कहते है की हवाओं का रुख और नदी की लहरे दोनों साथ साथ होती है तो एक के दम पर दूसरा भी अपनी ताकत दिखाता है | साहित्य आजतक की प्रतियोगिता में एक बार फिर प्रथम पुरष्कार हासिल करने वाले इलाहाबादी नौजवान जो लखनऊ की नवाबी ताकत भी हासिल कर चुका है, उसका दम अब साहित्य के क्षेत्र में दिखाई देने लगा है | जब क्रांति से तमीज और तहजीब का मिलन होता है तो एक नया, नायब हीरा अपनी चमक बिखेरना शुरू कर देता है | आप इसे कोहिनूर कहे या फिर चमकता सितारा ये अपने चमक से आपकी आँखों में सपने भर देगा |

अनुराग पांडेय (अनंत ) की यात्रा के पहले चरण में जब एक छात्र के रूप में मुलाकात हुई तो इस प्रकाश पुंज में कुछ अंधरे की आहट भी दिखाई दे रही थी | अपने यात्रा के प्रथम चरण में बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी के जनसंचार और पत्रकारिता विभाग में एहसास मंच जब जागृत हुआ तो अनंत यात्रा की शुरुआत हो गयी | आंदोलनों में अगुआई करना और छात्र हित में लड़ जाना तो जैसे सामान्य बात थी| कही भी कोई साहित्य की रचना हो रही हो या प्रतियोगिता तो अनुराग स्वतः प्रकट हो जाते थे |

विभाग के लिए साहित्य के मोर्चे पर जो कमान संभाली की पुरष्कारो की लाइन लग गयी | अगर प्रतियोगिता में अनुराग है तो बाकी के प्रतिभागी मान लेते थे की उन्हें द्वितीय पुरष्कार से ही संतोष करना होगा | उर्जा ऐसी की मुख से हर शब्द तीर कमान से निकले बाण ही थे जो कभी अर्जुन की कमान से निकले लगते थे तो कभी श्रृंगार रस के कवि के समान लोक लुभावन बाते करते दिखाई पड़ जाते थे |

इस उजाले के पीछे एक अँधेरा भी था जो कभी कभी उनकी कविताओं में भी दिखने लगता था | घोर निराशा के बीच कुछ प्रकाश हमेशा बचा रहता था जो इस बात का एहसास दिलाता रहता था की हर अंधरे के बाद उजाले की ओर ही जाना है | शोध छात्र के रूप में भी जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग के प्रो. गोविन्द जी पाण्डेय के साथ यात्रा शुरू हुई और ये अभी भी चल रही है | इस यात्रा का मै भी आनंद ले रहा हु जिसमे हर छोर पर विजय -पराजय से दूर एक निराकार स्वप्न को रूप देने का क्रम जारी है |

अनुराग की इस यात्रा में लल्लन टॉप , साहित्य आजतक की प्रतियोगिता का विजेता होना एक स्वाभाविक पल है और ऐसे न जाने कितने और पल शायद इस कवि का इंतज़ार कर रहे है | मंच सज चुका है , पुकार हो गयी है, और इस कवि की बोली आपके दिलो के तार को छेड़ने को व्याकुल है |

अनंत यात्रा में जो भी जुड़ा है वो भाग्यशाली है और आने वाले समय में वो ये याद कर खुश होगा की कभी हम भी इस अनुराग की अनंत यात्रा में सहभागी रहे |


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