एलयू: महाविद्यालयों में पीएचडी करवाने पर विचार करने के लिए बैठक का हुआ आयोजन....

  • whatsapp
  • Telegram
एलयू: महाविद्यालयों में पीएचडी करवाने पर विचार करने के लिए बैठक का हुआ आयोजन....



लखनऊ विश्वविद्यालय के शोध के प्रति निष्ठा को बरकरार रखने एवं नई शिक्षा नीति के शोध को बढ़ावा देने के ऑब्जेक्टिव को ध्यान में रखते हुए, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय के निर्देशानुसार आज विश्वविद्यालय के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, डीआरसी के चेयरपर्सन एवं समस्त संकाय अध्यक्षों की एक बैठक की गई। यह बैठक विश्वविद्यालय से संबद्ध स्नातक शिक्षण कार्य कर रहे महाविद्यालयों में पीएचडी करवाने संबंधी संभावनाओं पर विचार करने के लिए बुलाई गई। बैठक की शुरुआत में डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर राकेश चंद्रा ने सभी के साथ एजेंडा सांझा किया, और सभी उपस्थित वरिष्ठ अध्यापकों से अपने विचार सबके समक्ष रखने के लिए आग्रह किया।

प्रोफेसर पूनम टंडन ने बैठक की शुरुआत करते हुए कहा की विश्वविद्यालय के पास ऐसे कई अध्यापकों के आवेदन आए हैं जो शोध कराना चाहते हैं और करना चाहते हैं। नई शिक्षा नीति के दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए और ऐसे सभी अध्यापकों के शोध कैरियर के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस बैठक की शुरुआत की जाए। बातचीत के दौरान कई बातें सामने आई।

कई अध्यापकों ने इस बैठक का स्वागत किया और लखनऊ विश्वविद्यालय में शोध के भविष्य के प्रति सकारात्मक सोच दिखाई। उन्होंने यह विश्वास प्रकट किया कि महाविद्यालयों को यदि यह मौका दिया जाता है तो अवश्य ही ऐसे कई अध्यापक निकलेंगे जो उच्च कोटि का शोध करने में सक्षम रहेंगे। साथ ही यह भी विश्वास जताया गया कि टारगेट के सेट होने पर महाविद्यालय भी अपने इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करने की पूरी कोशिश करेंगे। यह भी कहा गया कि महाविद्यालय के अध्यापकों की गुणवत्ता पर कोई भी आशंका नहीं है क्योंकि वह भी यूनिवर्सिटी से ही अपनी शिक्षा प्राप्त करते हैं एवं एक एंट्रेंस एग्जाम तथा इंटरव्यू पास करने के बाद ही महाविद्यालयों में कार्यरत हो पाते हैं।

कई अध्यापकों ने महाविद्यालयों की कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि उपयुक्त उपकरण जैसे लैबोरेट्री का सामान या लाइसेंस्ड सॉफ्टवेयर या अंतरराष्ट्रीय जर्नल तक एक्सेस के अभाव में किसी भी छात्र के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। यह भी आशंका जताई गई कि यदि सभी महाविद्यालयों को पीएचडी कराने का अवसर दिया जाता है तो क्या इतनी बड़ी मात्रा के छात्रों को विश्वविद्यालय एक साथ कोर्स वर्क करा पाएगा। सभी अध्यापकों ने अपने-अपने पक्ष रखें और डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर राकेश चंद्रा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया। ऐसी ही एक बैठक कल भी होगी जिसमें डीन एकेडमिक्स और डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर के साथ विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्य भी मौजूद होंगे और कल उनके विचार सभी के समक्ष साझा किए जाएंगे।

अराधना मौर्या

Next Story
Share it