नई शिक्षा नीति के शोध को बढ़ावा देने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय ने किया बैठक का आयोजन

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नई शिक्षा नीति के शोध को बढ़ावा देने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय ने किया बैठक का आयोजन

लखनऊ विश्वविद्यालय के शोध के प्रति निष्ठा को बरकरार रखने एवं नई शिक्षा नीति के शोध को बढ़ावा देने के ऑब्जेक्टिव को ध्यान में रखते हुए, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने हाल ही में 5 सदस्य समिति का गठन किया था जिसका उद्देश्य विश्वविद्यालय के संबद्ध महाविद्यालयों में नियुक्त अध्यापकों द्वारा शोध करवाने की संभावना पर विचार कर अपनी आख्या प्रदान करना है।

डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर राकेश चंद्रा, डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रोफेसर पूनम टंडन, व्यापार प्रशासन विभाग से डॉ संगीता साहू, प्रधानाचार्य, नेताजी सुभाष राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय अलीगंज डॉ अनुराधा तिवारी, और प्रधानाचार्य, डी ए वी डिग्री कॉलेज ऐशबाग डॉ अंजनी मिश्रा की उपस्थिति में इसी संदर्भ में कल विश्वविद्यालय के सभी विभागों के अध्यक्षों, समन्वयकों एवं संकायाध्यक्षों की बैठक की गई थी, और आज इसी क्रम में विश्वविद्यालय के संबद्ध महाविद्यालयों के प्राचार्य की एक बैठक की गई।

बैठक में सभी उपस्थित प्राचार्य ने एक स्वर में इस पदक्षेप का स्वागत किया और सभी ने कुलपति को उनके सकारात्मक सोच और शोध के प्रति निष्ठा व श्रद्धा को सराहा। सभी का यह मत था कि स्नातक महाविद्यालय के शिक्षकों में किसी भी प्रकार से गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है बल्कि शोध न करवा पाने की वजह से कई गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों के करियर में उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ता है।

बैठक में यह बात भी कही गई कि शोध कराने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर लैबोरेट्री फैसिलिटी या लाइसेंस्ड सॉफ्टवेयर से ज्यादा सोच कराने की इच्छा मायने रखती है और उक्त विषय में सभी हिताधिकारिओं में यही शोध कराने की इच्छा सबसे ज्यादा प्रबल है। कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय एवं नई शिक्षा नीति का एक मूलभूत तत्व है संस्थानों के बीच कॉर्पोरेशन और हैंड होल्डिंग, अर्थात अगर किसी एक शिक्षण संस्थान में किसी फैसिलिटी की कमी है तो वह कमी दूसरे संस्थान के साथ काम कर पूरी हो सकती है।

बैठक में मौजूद सभी महाविद्यालयों ने छात्र हित में स्नातक महाविद्यालयों में शोध कर आते वक्त इस तरीके की साझेदारी पर जोर दिया और आज के बदलते समय में टेक्नोलॉजी रिमोट एजुकेशन आदि का शोध पर पड़ रहे सकारात्मक प्रभाव की भी बात कही। इन सभी मतों को देखते हुए डिन एकेडमिक्स प्रोफेसर राकेश चंद्र एवं डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रोफेसर पूनम टंडन ने ऐसे ही सकारात्मक सोच का स्वागत किया और कहां की प्रोफेसर आलोक कुमार राय द्वारा गठित यह समिति जरूर अपनी आंख्या में सभी प्राचार्यो के मत शामिल करेंगे।


अराधना मौर्या

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