स्क्रीनप्ले सिनेमा का विजुअल डॉक्यूमेंट होता है: प्रोफेसर गोविंद जी पांडे
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय बनारस में वर्कशॉप के पांचवें दिन छात्र छात्राओं से बात करते हुए प्रोफेसर गोविंद पांडे ने कहा की किसी भी फिल्म का निर्माण या...
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय बनारस में वर्कशॉप के पांचवें दिन छात्र छात्राओं से बात करते हुए प्रोफेसर गोविंद पांडे ने कहा की किसी भी फिल्म का निर्माण या...
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय बनारस में वर्कशॉप के पांचवें दिन छात्र छात्राओं से बात करते हुए प्रोफेसर गोविंद पांडे ने कहा की किसी भी फिल्म का निर्माण या थिएटर की कहानी तब तक प्रभावी नहीं होती है जब तक उसका स्क्रीनप्ले प्रभावी तरीके से ना लिखा जाए।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के विद्यार्थियों से बात करते हुए प्रोफेसर गोविंद पांडे ने कहा की जिस समय हम स्क्रीनप्ले लिखते हैं उस समय हमारी सोच में सिर्फ और सिर्फ उस दृश्य की कल्पना होनी चाहिए।
सिनेमा की शुरुआत जहां एक आईडिया से होती है। जिसे लेखक अपने शब्दों में लिखकर कहानी के रूप में प्रस्तुत करता है ।पर कहानी एक विजुअल माध्यम है और उसे जब हम ऑडियो विजुअल माध्यम में ट्रांसलेट करते हैं तो उसे उस माध्यम के अनुसार विकसित करना होता है।
स्क्रीनप्ले सिनेमा के स्क्रीन पर आने वाली वह बात होती है जो लेखक कहना चाहता है। कहानी का लेखक कोई और हो सकता है और स्क्रीनप्ले लिखने के लिए कुछ अलग ही लोगों की जरूरत पड़ती है।
स्क्रीन प्ले लिखते समय तीन कंस्टेंट के बारे में लगातार सोचना चाहिए जिसमें पहला नंबर है सीन हेडिंग का दूसरा नंबर है डिस्क्रिप्शन का और तीसरा नंबर है संवाद का।
श्री पांडे ने कहा कि अगर आपने स्क्रीनप्ले सही लिख लिया तो सिनेमा के निर्माण में काफी मदद मिल जाती है।