भारतीय ज्ञान परंपरा कुंजी है आत्म-निर्भर भारत की –विजय कर्ण ।

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भारतीय ज्ञान परंपरा कुंजी है आत्म-निर्भर भारत की –विजय कर्ण ।


आज दिनांक 18 अप्रैल, 2023 दिन मंगलवार को बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के संस्कृत एवं वैदिक विभाग में “भारतीय ज्ञान परंपरा: आत्म-निर्भर भारत” पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर विजय कुमार कर्ण, नव-नालंदा महाविहार, नालंदा थे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता संकाय प्रमुख प्रोफेसर संजय कुमार ने और मुख्य अतिथि का परिचय एवं विषय प्रवर्तन संस्कृत एवं वैदिक विभाग के विभागाध्यक्ष एवं प्रोफेसर रिपु सूदन सिंह के द्वारा किया गया तथा व्याख्यान का संचालन सहायक आचार्य डॉ. सुधा श्रीवास्तव जी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन एम. ए. द्वितीय सेमेस्टर की छात्रा मैत्रेयी के द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ सुधांशु चौबे के मंगलाचरण से हुआ । मुख्य अतिथि ने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं संस्कृत का मूलाधार भारतीय ज्ञान परंपरा है। । उन्होंने बताया कि आज संस्कृत एवं वैदिक ग्रंथ आत्मनिर्भर भारत की कुंजी बन सकते हैं । उन्होंने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा प्रज्ञा का प्रतीक है जिसमें ज्ञान एवं विज्ञान लौकिक एवं पर-लौकिक कर्म और धर्म तथा भोग-त्याग का अद्भुत समन्वय रहा है। ऋग्वेद के समय से ही शिक्षा प्रणाली जीवन के नैतिक, भौतिक, आध्यात्मिक और सभी के सम्मान जैसे मूल्यों पर बल देती है।

कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे।

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