कलात्मक कलाकृति के सृजन का आधार भारतीय वाॅस पेंटिंगः प्रो0 राजेन्द्र प्रसाद

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कलात्मक कलाकृति के सृजन का आधार भारतीय वाॅस पेंटिंगः प्रो0 राजेन्द्र प्रसाद



अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में दीक्षांत सप्ताह के अन्तर्गत ललित कला (फाईन आर्ट्स) विभाग में भारतीय कला में वाॅस पद्धति का योगदान विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ प्रारम्भ किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डाॅ0 शकुन्तला मिश्रा, राष्ट्रीय पुर्नवास विश्वविद्यालय, लखनऊ के पूर्व संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष, फाईन आर्ट्स के प्रो0 राजेन्द्र प्रसाद ने वाॅस पेन्टिग कलात्मक कलाकृति के सृजन का आधार बताया। उन्होंने बताया कि जल रंगों के द्वारा किसी भी कलाकृति के सृजन की तकनीक से लोक संस्कृति आधारित पौराणिक लोक कलाओं को उत्पे्ररित एवं विकसित करती है। इस पद्धति का प्रादुर्भाव बंगाल से स्वमाटी की कलात्मक पेंन्टिग से हुआ है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो0 आशुतोष सिन्हा ने सभी छात्र-छात्राओं को कला की विभिन्न विधाओं से अवध की लोक संस्कृति को संरक्षित करने का आहवान किया। विभाग के समन्वयक प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि वाॅश पेन्टिंग पद्धति भारतीय चित्रकला को बहुआयामी स्वरूप प्रदान करती है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो0 पी0 के0 घोष ने जलरंग भर कर छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित किया।

विभाग की डाॅ0 सरिता द्विवेदी ने भारतीय वाॅश पेन्टिग के विकास से अवगत कराया। कार्यक्रम में श्रीमती रीमा सिंह द्वारा अतिथियों प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रो0 मृदुला मिश्रा, प्रो0 शैलेन्द्र कुमार, डाॅ0 अनिल कुमार, डाॅ0 त्रिलोकी यादव, डाॅ0 प्रिया कुमारी, डाॅ0 मनीषा यादव, डाॅ0 प्रशान्त कुमार सिंह, डाॅ0 डी0 एन0 वर्मा, डाॅ0 सुधीर श्रीवास्तव, डाॅ0 अलका श्रीवास्तव, श्रीमती सरिता सिंह, डाॅ0 मीनू वर्मा, दिलीप पाल, विजय कुमार शुक्ला, हीरा लाल यादव, शिव शंकर यादव सहित अन्य छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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