जलवायु संकट ने मानवाअधिकार संकट का रूप ले लिया हैः प्रो0 अशोक राय

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जलवायु संकट ने मानवाअधिकार संकट का रूप ले लिया हैः प्रो0 अशोक राय



अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के विधि विभाग में मानव अधिकार दिवस के उपलक्ष्य में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बोलते हुए विधि संकायाध्यक्ष प्रो० अशोक कुमार राय ने कहा कि मानव स्वतंत्र और समान गरिमा एवं अधिकारों के साथ जन्म लेता है। सार्वभौम मानव अधिकार घोषणा का यह शाश्वत प्रथम वाक्य आज भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना पचहत्तर वर्ष पहले घोषणा के अनुमोदन के समय था।

सार्वभौम घोषणा, युद्ध समाप्त कराने, भेद मिटाने और सबको शान्ति एवं गरिमापूर्ण जीवन देने में सहायक रूपरेखा प्रदान करती है।किन्तु विश्व आज इसे भूलता जा रहा है। युद्ध हो रहे हैं। वैश्विक धरातल पर बेरोजगारी ,गरीबी और भुखमरी का बढ़ रही है। असमानताएं गहरी हो रही हैं। जलवायु संकट ने मानवाअधिकार संकट का रूप ले लिया है जो विकासशील राष्ट्रों पर सबसे कड़ा प्रहार कर रहा है।

अधिनायकवाद बढ़ रहा है। नागरिक विमर्श संकुचित हो रहा है और मीडिया पर हमले हो रहे हैं। यह चिंता का विषय है। यदि मानव अधिकार की संकल्पना को आत्मसात किया जाए तो उल्लिखित समस्याओं का निदान सम्भव है।

एसोसिएट प्रोफेसर डॉ० अजय कुमार सिंह ने कहा कि आज सभी पीढ़ी के मानव अधिकारों को प्रोत्साहन एवं सम्मान देना पहले से कहीं अधिक जरूरी है क्योंकि ये अधिकार समूचे विश्व को संरक्षण प्रदान करते हैं। सार्वभौम घोषणा ऐसे साझे मूल्यों एवं कल्याण का मार्ग दिखाती है जो वैश्विक शान्ति की स्थापना के लिए आवश्यक एवं सहायक है। वैश्विक शांति की स्थापना के लिए और 21वीं शताब्दी को अधिक प्रभावोत्पादक बनाने के लिए मानव अधिकारों की केंद्रीय भूमिका को आत्मसात करना होगा।

वैश्विक जनमानस को सार्वभौम घोषणा के शाश्वत मूल्यों के प्रति अपना संकल्प दृढ़ करना होगा।इसके बिना वैश्विक शांति और कल्याण की अभिलाषा परिकल्पनात्मक होगी। डॉ०सन्तोष पाण्डेय ने मानव अधिकार की भारतीय अवधारणा की विश्व व्यापी अंगीकरण पर बल देते हुए कहा कि अधिकारों के प्रति सजगता बहुधा विवादों को जन्म देती हैं जबकि कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता से समाज मे शांति की स्थापना होती है और व्यक्ति का अहित नहीं होता है ।

अतः मानव अधिकार की कर्तव्य उन्मुख अवधारणा को स्वीकार करना समय की मांग है। डॉ० विवेक सिंह ने कहा कि मानवाधिकार सभी मनुष्यों के सार्वभौमिक अधिकार हैं, चाहे उनकी जाति, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य राय, राष्ट्रीय या सामाजिक मूल, संपत्ति, जन्म या अन्य स्थिति कुछ भी हो।कार्यक्रम का संचालन आशुतोष पाठक ने किया। इस कार्यक्रम में महेंद्र सिंह, सुनीता देवी, दिलीप शुक्ला सहित विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।

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