संविधानवाद नागरिकों की रक्षा करने पर आधारितः प्रो0 सुचिता पाण्डेय
संविधान से ही सत्ता का दुरुपयोग रोका जा सकेगाः प्रो0 अशोक रायअयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 29 वें दीक्षांत समारोह के उपलक्ष्य में...
संविधान से ही सत्ता का दुरुपयोग रोका जा सकेगाः प्रो0 अशोक रायअयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 29 वें दीक्षांत समारोह के उपलक्ष्य में...
संविधान से ही सत्ता का दुरुपयोग रोका जा सकेगाः प्रो0 अशोक राय
अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 29 वें दीक्षांत समारोह के उपलक्ष्य में विधि विभाग में संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रो० सुचिता पांडेय, प्राचार्या बी०एन०के०बी० पी०जी०कालेज ,अम्बेडकर नगर ने बताया कि संविधानवाद एक राजनीतिक सिद्धांत है, जो सरकार की शक्ति को सीमित करने और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने पर आधारित है। यह सिद्धांत संविधान के माध्यम से सरकार के कार्यों को नियंत्रित करने का प्रयास करता है, ताकि कोई भी सरकार अपने अधिकारों का दुरुपयोग न कर सके और नागरिक स्वतंत्रता सुनिश्चित हो सके। उन्होंने आगे बताया कि संविधानवाद का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकार कानून के दायरे में काम करे, और इसके अधिकार सीमित और स्पष्ट रूप से परिभाषित हों। यह सत्ता के बंटवारे, अधिकारों की गारंटी, निष्पक्ष मीडिया और न्यायिक समीक्षा जैसे तंत्रों के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।
विधि संकायाध्यक्ष प्रो० अशोक कुमार राय ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि संविधानवाद का तात्पर्य सीमित सरकार से है, यह लोकतंत्र, कानून का शासन और मानव अधिकारों के सम्मान पर आधारित होता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि किसी भी व्यक्ति या संस्था को अवैध या निरंकुश शक्ति नहीं मिले। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में संविधान की अवधारणा सरकार की शक्ति को सीमित करने और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा पर आधारित है। संविधान देश का सर्वोच्च कानून है, और इसके विपरीत कोई भी कानून अमान्य हो सकता है। इसमें शक्तियों का विभाजन विधायिका, कार्यपालिका, और न्यायपालिका के बीच किया गया है, ताकि सत्ता का दुरुपयोग रोका जा सके। न्यायिक समीक्षा के माध्यम से अदालतें किसी भी कानून या सरकारी कार्रवाई की संवैधानिकता की जांच कर सकती हैं।
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए एसोसिएट प्रोफेसर डॉ० अजय कुमार सिंह ने कहा कि मौलिक अधिकारों के प्रावधान नागरिकों को सरकारी दमन से बचाने के लिए हैं, जबकि संविधान में संशोधन की प्रक्रिया इसे लचीला बनाती है, लेकिन इतनी सरल भी नहीं कि इसे आसानी से बदला जा सके। समानता और स्वतंत्रता के अधिकार संविधानवाद की भावना को मजबूत करते हैं, और संविधान की प्रस्तावना में संविधानवाद की मूल भावना को दर्शाया गया है, जिसमें धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, समाजवाद और न्याय जैसे मूल्य शामिल हैं। इन सबके माध्यम से भारतीय संविधान संविधानवाद की अवधारणा को प्रभावी रूप से लागू करता है।इसकी रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है।कार्यक्रम का संचालन वन्दना गुप्ता ने किया। कार्यक्रम में डॉ०सन्तोष पांडेय, डॉ० विवेक, दिलीप शुक्ला सहित विद्यार्थी उपस्थित रहे।