तकनीकी क्षेत्र में महिला वैज्ञानिकों का विशेष योगदानः कुलपति प्रो0 प्रतिभा

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तकनीकी क्षेत्र में महिला वैज्ञानिकों का विशेष योगदानः कुलपति प्रो0 प्रतिभा
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अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 प्रतिभा गोयल ने बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज (बीएसआईपी), लखनऊ में ‘शक्ति’, अवध प्रांत के तत्वाधान में शुक्रवार को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में महिलाएं विषय पर मुख्य अतिथि के रूप में एक दिवसीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आनंदीबाई जोशी, कल्पना चावला, स्वाति पीरामेल सहित अन्य महिला वैज्ञानिकों का विशेष योगदान है। चूकिं महिलाओं को आम तौर पर दिन-प्रतिदिन की समस्याओं और चुनौतियों का प्रत्यक्ष ज्ञान होता है, जिनका उपयोग वे समाज से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने में लगा सकती हैं। संगोष्ठी में कुलपति प्रो0 गोयल ने श्रीमती सावित्री साहनी की चर्चा करते हुए बताया कैसे अपने पति प्रोफेसर बीरबल साहनी (बीएसआईपी के संस्थापक) के दुखद निधन के बावजूद भी बीएसआईपी के समग्र विकास में श्रीमती साहनी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कुलपति गोयल ने कहा कि यह आयोजन निश्चित रूप से महिलाओं को शैक्षणिक क्षमताओं और नेतृत्व की भूमिका विकसित करने में सहायक होगा।

संगोष्ठी में लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रति कुलपति प्रो0 मनुका खन्ना ने कहा कि इस अमृत काल में देश के समग्र विकास में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। प्रख्यात महिला वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, टेक्नोक्रेट और युवा पीढ़ी के बीच एक स्वस्थ संवाद स्थापित करना होगा। वर्तमान में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में श्रीमती वैद्य लीना बावडेकर, राष्ट्रीय महासचिव, शक्ति भी मौजूद रही। उन्होंने बताया कि विज्ञान भारती की प्रेरणा से वर्ष 2003 में कोच्चि (केरल) में महिलाओं के लिए ‘शक्ति’ नामक एक राष्ट्रीय आंदोलन की स्थापना हुई। विज्ञान भारती, एक स्वदेशी विज्ञान आंदोलन हैं, जिसका मकसद सामाजिक सद्भाव के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी है।

संगोष्ठी में बीएसआईपी के निदेशक प्रो. महेश जी. ठक्कर कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन संगोष्ठी की संयोजक डॉ. शिल्पा पांडे द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रो. जसंवत सिंह, डॉ. अनुपम शर्मा, डाॅ. सुधा तिवारी, डाॅ. शिल्पा पाण्डेय, प्रो0 उपमा चतुर्वेदी, डाॅ. गीतिका श्रीवास्तव, डाॅ. अनुमेहा शुक्ला, प्रो0 सुमन मिश्रा, बिन्दु सुराज सहित अन्य प्रांतों के वैज्ञानिक एवं शोधार्थी मौजूद रहे।

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