स्वच्छ वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोतों को बढावा देना होगाः डाॅ0 ठाकुर यादव
अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के भौतिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग में नैनो मटेरियलः रिसेंट एडवांसेज फॉर हाइड्रोजन एनर्जी विषय पर एक...
अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के भौतिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग में नैनो मटेरियलः रिसेंट एडवांसेज फॉर हाइड्रोजन एनर्जी विषय पर एक...
अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के भौतिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग में नैनो मटेरियलः रिसेंट एडवांसेज फॉर हाइड्रोजन एनर्जी विषय पर एक व्याख्यान आयोजित किया गया। इस व्याख्यान में इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज के भौतिकी विभाग के बतौर मुख्य वक्ता डॉ० ठाकुर प्रसाद यादव ने कहा कि सभी को स्वच्छ वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोतों को बढावा देना होगा।
उच्च क्षमता, कम लागत वाली स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन और भंडारण तकनीक में प्रभावकारी है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा नेटवर्क में कम कार्बन सफल एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण होगी। हाइड्रोजन को अक्सर पारंपरिक ईंधन का एक अच्छा विकल्प माना जाता है। जीवाश्म ईंधन, जिसमें प्राकृतिक तेल और गैस शामिल हैं।
सभी उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों के 75 प्रतिशत से अधिक और सभी कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लगभग 90 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार हैं। ये दुनिया के प्रमुख चालक बन गए हैं। कार्यक्रम में डाॅ0 ठाकुर प्रसाद ने बताया कि भारत में अक्षय ऊर्जा की तेजी से वृद्धि का प्रमुख कारक देश की बढ़ती आबादी है। ईंधन के अलावा, हाइड्रोजन ऊर्जा का उपयोग विभिन्न अनुप्रयोगों में किया जा रहा है।
हाइड्रोजन को स्वच्छ ऊर्जा कहा जाता है, क्योंकि जब इसे जलाया जाता है, तो यह केवल जल वाष्प उत्पन्न करता है और वायुमंडल में कोई अन्य उपोत्पाद नहीं निकलता है। उन्होंने बताया कि ईंधन कोशिकाओं और पानी को विभाजित करने वाले इलेक्ट्रोलिसिस ने ऊर्जा रूपांतरण की दक्षता में सुधार किया गया है। परिष्कृत सामग्रियों ने हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के लिए क्लेकारो उत्प्रेरक का उपयोग करना शुरू कर दिया है। आज नैनोमटेरियल सबसे महत्वपूर्ण नैनो-सामग्री में से एक है।
कार्यक्रम में भौतिकी एवं इलेक्ट्रानिक्स विभागाध्यक्ष प्रो0 गंगाराम मिश्र ने अतिथियों का स्वागत व विषय प्रवर्तन करते हुए नैनोपार्टिकल्स और नैनोट्यूब पर चर्चा की। कहा कि हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए ऐसे नैनोकणों को नियोजित किए जाने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने हाइड्रोजन भंडारण और री-हाइड्रोजनीकरण विशेषताओं पर नैनो-सामग्री के उत्प्रेरक के प्रभाव पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डाॅ0 अनिल कुमार ने किया। इस अवसर पर डॉ0 गीतिका श्रीवास्तव, डॉ0 सिंधु सिंह सहित शोद्यार्थी एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।