भारत की लोककला में रोजगार के नए अवसरः डाॅ0 सुरेन्द्र मिश्र

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भारत की लोककला में रोजगार के नए अवसरः डाॅ0 सुरेन्द्र मिश्र
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अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पीएम-उषा योजनान्तर्गत प्रौढ़ एवं सतत शिक्षा विभाग द्वारा संचालित फैशन डिजाइनिंग पाठ्यक्रम में ‘हैंडीक्राफ्ट ऑफ अयोध्या’ विषय पर पांच दिवसीय कार्यशाला में विभिन्न रचनात्मक और व्यावहारिक सत्रों का आयोजन किया गया। इसमें छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और कला, डिजाइन एवं उद्यमिता से संबंधित महत्वपूर्ण कौशल सीखे।

इस कार्यशाला में दूसरे दिन फैशन डिजाइनिंग के समन्वयक डॉ. सुरेंद्र मिश्रा ने बताया कि ग्रामीण भारत की लोककला आज भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए है। यदि इसे आधुनिक डिजाइन और आंतरिक सजावट में शामिल किया जाए, तो यह कला न केवल जीवंत बनी रहेगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करेगी। रिसोर्स पर्सन श्रीमती विनीता पटेल ने ‘लिपन आर्ट‘ पर से प्रशिक्षित किया। उन्होंने बताया कि यह आर्ट केवल एक पारंपरिक कला नहीं है, बल्कि यह आधुनिक जीवनशैली और डिजाइनिंग में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

इस कार्यशाला के तीसरे दिन छात्राओं ने मोमबत्ती निर्माण पर कार्य किया गया। रिसोर्स पर्सन के रूप में श्रीमती शालिनी पांडे ने छात्रों को डिजाइनर, अरोमा, डेकोरेटिव मोमबत्ती के बनाने की प्रक्रिया के तकनीकी गुर सीखाएं। कार्यशाला में चैथे दिन मधुबनी पेंटिंग पर एक विशेष कार्यशाला आयोजित हुई जिसमें विशेषज्ञ डॉ. सृष्टि पुरवार, इलाहाबाद विश्वविद्यालय उपस्थित रहीं। उन्होंने छात्रों को मधुबनी चित्रकला की परंपरा, तकनीक, डिजाइन और रंग संयोजन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस कार्यशाला का संचालन रत्नेश यादव, श्रीमती शालिनी पाण्डेय व विनीता पटेल द्वारा किया गया। इस कार्यशाला में फैशन डिजाइनिंग के छात्राओं ने बढ़चढ कर हिस्सा लिया।

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