अवध की लोक कला में जीवंतता के लिए शोध करने होंगेः डाॅ0 कुमुद सिंह

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अवध की लोक कला में जीवंतता के लिए शोध करने होंगेः डाॅ0 कुमुद सिंह
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पीअवध की संस्कृति का अभिन्न अंग है अवध की लोक कलाः प्रो0 आशुतोष सिन्हा

अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में पीएम-उषा के साॅफ्ट काॅम्पोनेंट के अन्तर्गत ललित कला विभाग में पांच दिवसीय आयोजित ‘अवधी पेंटिंग में राम का चित्रण‘ कार्यशाला में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश लोक कला एवं जनजातीय संस्थान, संस्कृत विभाग उत्तर प्रदेश लखनऊ की सदस्य एवं सुप्रसिद्ध अवधी लोक कलाकार डॉ0 कुमुद सिंह रही।

उन्होंने अवध लोक कला के विभिन्न स्वरूपों पर चर्चा करते हुुए प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को डेमोंसट्रेशन से राम स्वरूप आधारित विभिन्न अवधी लोक कलाओं की विधाओं से परिचित कराया। डाॅ0 सिंह ने बताया कि अवध की लोक कला उत्तर प्रदेश के साथ-साथ देश के कलात्मक स्वरूप में भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसकी जीवंतता के लिए नित नये कलात्मक शोध करने होंगे।

कार्यशाला की अध्यक्षता कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो0 आशुतोष सिन्हा ने की। उन्होंने बताया कि अवध की लोक कला अवध की संस्कृति का अभिन्न अंग है। यह अपनी खासियतों के लिए पहचानी जाती है। तकनीकी सत्र में ललित कला की डॉ0 सरिता द्विवेदी ने वेस्ट मटेरियल से कलात्मक धरोहर को निर्मित करने के विभिन्न तकनीकी से छात्राओं को अवगत कराया। तकनीकी सत्र में विभाग की श्रीमती रीमा सिंह ने बताया कि पेंटिंग के विभिन्न प्राचलों से अपनी कृतियों का निर्माण करना चाहिए। प्रशिक्षिका श्रीमती सरिता सिंह ने आर्ट वर्क के डिजाइन से परिचित कराया।

अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यशाला का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन रीमा सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर विभागीय शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रही।

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