सतत् विकास के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था बनाना होगा तभी भविष्य सुरक्षितः प्रो0 कुलश्रेष्ठ
पर्यावरणीय संसाधनों का उपयोग समझदारी से करना होगाः प्रो0 जसंवत सिंह अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास...
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पर्यावरणीय संसाधनों का उपयोग समझदारी से करना होगाः प्रो0 जसंवत सिंह अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास...
पर्यावरणीय संसाधनों का उपयोग समझदारी से करना होगाः प्रो0 जसंवत सिंह
अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग में पीएम-उषा के साॅफ्ट काॅम्पोनेंट के अन्तर्गत ‘पर्यावरणीय अर्थशास्त्र‘ विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला के चैथे दिन प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि चितकारा विश्वविद्यालय, चंडीगढ़, पंजाब के अर्थशास्त्र संकायाध्यक्ष प्रो0 धीरेश कुलश्रेष्ठ रहे। उन्होंने ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड द सर्कुलर इकोनामीः शेपिंग ए रेसिलियंट फ्यूचर‘ विषय पर अपना व्याख्यान दिया। प्रो0 कुलश्रेष्ठ ने बताया कि सतत् विकास के लिए रेखीय अर्थव्यवस्था को चक्रीय अर्थव्यवस्था बनाना होगा। तभी हमारा भविष्य सुरक्षित रहेगा।
इस व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए 4-आर व्यवस्था के अंतर्गत रिसाइकलिंग पर विशेष बल देना होगा। उन्होंने इस संबंध में भारत एवं अन्य राष्ट्रों में हो रहे प्रयासों की विस्तृत चर्चा की। इसके अतिरिक्त विभिन्न को विभिन्न केस स्टडी से भारतीय उद्योग जगत में हो रहे बदलावों से भी अवगत कराया।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में पर्यावरण विद् प्रो0जसवंत सिंह भूतपूर्व विभागाध्यक्ष पर्यावरण विभाग अवध विश्वविद्यालय ने ‘एनवायरमेंटल इकोनॉमिक्सः बैलेंसिंग ग्रोथ एंड सस्टेनेबिलिटी‘ विषय पर अपना व्याख्यान दिया। प्रो0 सिंह ने बताया कि समृद्धि एवं सतत विकास के मध्य संतुलन स्थापित करना नितांत आवश्यक है। यही पर्यावरणीय अर्थशास्त्र के लिए मुख्य चुनौती है। यदि पर्यावरणीय संसाधनों का उपयोग समझदारी से नहीं किया जाएगा तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे जो हमारी पीढ़ी के साथ आने वाली पीढ़ी के लिए भी नुकसानदेह हो सकते है।
तृतीय तकनीकी सत्र में डॉ0 प्रिया कुमारी ने ‘एनालिसिस आफ सेफ ड्रिंकिंग वॉटर इन सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स‘ पर अपने विचार रखे। उन्होंने जल जीवन मिशन के व्यावहारिक पक्ष को रखते हुए विस्तृत परिचर्चा की। कार्यशाला की अध्यक्षता संयोजक एवं कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो0 आशुतोष सिन्हा ने की। उन्होंने बताया कि सतत विकास एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास की आवश्यकता है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो संपूर्ण मानव जाति एवं अन्य प्रजातियों के लिए भविष्य दुष्कर हो जाएगी।
इस कार्यशाला में अतिथिओं का स्वागत प्रो0 मृदुला मिश्रा ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. विनोद कुमार श्रीवास्तव द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रिया कुमारी ने किया। इस अवसर पर डाॅ0 अवध नारायण, डॉ0 मीनू वर्मा सहित विभागीय शिक्षक एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।