टेक्सचर क्रिएशन नये संभावनाओं का द्धारः प्रो0 नीलम पाठक

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टेक्सचर क्रिएशन नये संभावनाओं का द्धारः प्रो0 नीलम पाठक
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डिजिटल टेक्सचर क्रिएशन से फैशन, आर्किटेक्चर और मल्टीमीडिया डिजाइन में क्रांतिः डाॅ0 संगीता

अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में पीएम उषा साफ्ट काॅम्पोनेण्ट योजना के अंतर्गत फैशन डिजाइनिंग एवं गारमेंट टेक्नोलॉजी पाठ्यक्रम में पांच दिवसीय “टेक्सचर क्रिएशन” विषय पर आयोजित कार्यशाला का समापन किया गया। इसमें छात्र-छात्राओं ने टेक्सचर निर्माण की विभिन्न तकनीकी पक्षों को जाना। उन्हें व्यावहारिक उपयोगिता के बारे में सिखाया गया और रचनात्मक प्रयोगों पर जोर दिया गया। इसमें छात्रों को कपड़ों, दीवारों, सजावटी वस्तुओं और अन्य सतहों पर टेक्सचर जोड़ने के नवाचारी तरीकों की जानकारी दी गई।

इस कार्यशाला की मुख्य अतिथि अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. नीलम पाठक ने कहा कि टेक्सचर क्रिएशन एक महत्वपूर्ण कौशल है, जो कला, फैशन और इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खोलता है। रचनात्मकता और नवाचार के माध्यम से, छात्र इस तकनीक का उपयोग कर अपने कार्यों में अनूठापन जोड़ सकते हैं। उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि टेक्सचर निर्माण न केवल सौंदर्यबोध बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि यह विभिन्न उद्योगों में भी उपयोगी है।

कार्यशाला के समन्वयक डॉ. सुरेंद्र मिश्रा ने कहा कि टेक्सचर केवल एक सजावटी तकनीक नहीं है, बल्कि यह किसी भी सतह को नया जीवन देने का एक सशक्त माध्यम है। यह कला, डिजाइन और वास्तुकला के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। यदि छात्र इस तकनीक को गहराई से समझें और प्रयोग करें, तो वे अपने करियर में नई ऊँचाइयाँ छू सकते हैं।

उन्होंने छात्रों को टेक्सचर निर्माण में स्थानीय और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने की भी सलाह दी, जिससे पर्यावरण के अनुकूल डिजाइनों को बढ़ावा दिया जा सके। इस कार्यशाला का एक विशेष आकर्षण डॉ. संगीता देवरिया ने टेक्सचर डिजाइन के समकालीन उपयोग और इसके औद्योगिक पहलुओं पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि डिजाइन और आर्ट में टेक्सचर का उपयोग सिर्फ सुंदरता बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि एक संवेदनशील अनुभव देने के लिए भी किया जाता है। आज के दौर में, डिजिटल टेक्सचर क्रिएशन भी बहुत महत्वपूर्ण हो गया है, जो फैशन, आर्किटेक्चर और मल्टीमीडिया डिजाइन में क्रांति ला रहा है। छात्रों ने इस दौरान अपने प्रश्न पूछे और डिजिटल टेक्सचरिंग, 3-डी मॉडलिंग और सतही डिजाइनिंग के आधुनिक पहलुओं को समझा। कार्यशाला का सफल संचालन श्रीमती विनीता पटेल और श्रीमती शालिनी पांडे द्वारा किया गया। इस अवसर पर रत्नेश यादव, डॉ. सुरेंद्र मिश्रा, श्रीमती प्रतिभा त्रिपाठी, श्रीमती सरिता पाठक सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

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