पृथ्वी को गर्म होने से बचायेगा पंचामृतः प्रो0 पी0के0 घोष
अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग में 28 वें दीक्षांत समारोह के उपलक्ष्य में दीक्षांत सप्ताह के...
अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग में 28 वें दीक्षांत समारोह के उपलक्ष्य में दीक्षांत सप्ताह के...
अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग में 28 वें दीक्षांत समारोह के उपलक्ष्य में दीक्षांत सप्ताह के अन्तर्गत “शुद्ध शुन्य उत्सर्जन के लिए पंचामृत को डिकोड करना” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता पूर्व संकायाध्यक्ष वाणिज्य एवं विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज के प्रो0 पी0के0 घोष ने कहा कि पृथ्वी के लिए पिछला वर्ष जलवायु परिवर्तन का रहा है। भारत सहित एशिया के पांच करोड़ लोगों को अपनी चपेट में लिया है।
इसके पीछे हरितगृह गैसों का बढ़ता उत्सर्जन, वैश्विक गर्माहट तथा जलवायु परिवर्तन प्रमुख कारण रहा हैं। उन्होंने कहा कि इन स्थितियों पर अंकुश पाने के लिए विश्व की अनेक संस्थाएं आगे आयी है। कार्यक्रम में प्रो0 घोष ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए 2015 में पेरिस के बीच अनुबंध हुआ। जिसमें वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक न बढ़ने पर जोर दिया गया। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए नवम्बर 2021 में भारत ने अपनी महत्वपूर्ण पहल पंचामृत की घोषणा की गई जो विश्व के लिए भारत का एक बहुत बड़ा योगदान है।
कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि पंचामृत के अंतर्गत भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट की गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता बनाने और अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 60 प्रतिशत भाग पुनर्नवीकरण स्त्रोतों से पूरा करने तथा कार्बन उत्सर्जन में एक बिलियन टन की कमी लाने व कार्बन सघनता में 45 प्रतिशत की कमी करने के साथ-साथ 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने का निश्चय किया है। इसके लिए भारत में सौर, पवन, जल तथा परमाणु के नवीन ऊर्जा स्त्रोतों तथा उनके उपयोग को तेजी से बढ़ाते हुए नयी रणनीतिया अपना कर जलवायु अनुकूल स्थितियां तैयार की जा रही है। ताकि पृथ्वी को और अधिक गर्म होने से बचाया जा सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्रो0 आशुतोष सिन्हा ने बताया कि पंचामृत की घोषणा के बाद देश की भूमिका बढ़ गई है। नवीन ऊर्जा के स्त्रोतों को जलवायु के अनुकूल परिस्थितियां बनाई जा सकती है। इससे पृथ्वी की संरक्षा में मदद मिल सकती है। कार्यक्रम का शुभारम्भ माॅ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। इसके उपरांत कुलगीत की प्रस्तुति की गई।
अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ एवं स्मृतिचिन्ह भेटकर की गई। कार्यक्रम का संचालन एवं अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन प्रो० विनोद कुमार श्रीवास्तव द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रो० मृदुला मिश्रा, प्रो० शैलेन्द्र कुमार, डाॅ0 अनिल कुमार, डॉ० त्रिलोकी यादव, डॉ० प्रिया कुमारी, डॉ० मनीषा यादव, डॉ० प्रशान्त कुमार सिंह, डॉ० डी० एन० वर्मा, डॉ० सुधीर श्रीवासाव, डॉ० अलका श्रीवास्तव, श्रीमती सरिता सिंह, डॉ० मीनू वर्मा, दिलीप पाल, विजय कुमार शुक्ला, हीरा लाल यादव, शिव शंकर यादव सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रही।