लखनऊ विश्वविद्यालय में कोविड-19 महामारी के लिये समाज कार्य की प्रतिक्रिया विषय पर हुआ वेबिनार का आयोजन
लखनऊ विश्वविद्यालय और भारत में पेशेवर समाज कार्यकर्ताओं का राष्ट्रीय संघ ने द्वितीय राष्ट्रीय समाज कार्य सप्ताह 2021 के अवसर पर एक राष्ट्रीय वेबिनार...
लखनऊ विश्वविद्यालय और भारत में पेशेवर समाज कार्यकर्ताओं का राष्ट्रीय संघ ने द्वितीय राष्ट्रीय समाज कार्य सप्ताह 2021 के अवसर पर एक राष्ट्रीय वेबिनार...
लखनऊ विश्वविद्यालय और भारत में पेशेवर समाज कार्यकर्ताओं का राष्ट्रीय संघ ने द्वितीय राष्ट्रीय समाज कार्य सप्ताह 2021 के अवसर पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया जिसका विषय "कोविद-19 महामारी के लिये समाज कार्य की प्रतिक्रिया" था। यह कार्यक्रम एक ऑनलाइन मंच के माध्यम से आयोजित किया गया जिसमें शैक्षणिक क्षेत्र से सौ अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
सत्र की शुरुआत, कार्यक्रम के मॉडरेटर श्री शशांक मिश्रा, छात्र BA Hons, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने कार्यक्रम की थीम पेश करके सत्र की शुरुआत की और द्वितीय राष्ट्रीय समाज कार्य सप्ताह 2021 के बारे में बताया।
लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनूप कुमार भारतीय ने स्वागत भाषण दिया। और उसके बाद द्वितीय राष्ट्रीय समाज कार्य सप्ताह 2021 के समन्वयक डॉ. अतुल प्रताप सिंह ने कार्यक्रम की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि इस वर्ष काशी विद्यापीठ एवं ने लखनऊ विश्वविद्यालय 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं और NAPSWI ने 15 वर्ष पूरे कर लिए हैं.
कार्यक्रम के दूसरे वक्ता बलबीर सिंह, संस्थापक, उम्मीद एनजीओ, लखनऊ ने संबोधन में उन्होंने इस तरह के आयोजन के लिए आयोजन समिति की सराहना की. उन्होंने बताया कि अब महामारी के कारण समाज सेवा के समीकरण बदल गए हैं. बलबीर जी ने बताया की कैसे उनकी संस्था ने कोविद-19 के दौरान लोगो कि मदद की और उन्होने बताया की कैसे हम आपदा को अवसर मे बदल सकते है। बलबीर जी ने बताया की हमने देश का विनाशकारी विभाजन नहीं देखा है। लेकिन महामारी के दौरान देश भर में श्रमिकों के पलायन को देखकर हम स्थिति की कल्पना कर सकते हैं। यह बहुत डरावना था। प्राथमिक चुनौती भूख थी, मुख्य सवाल ये था की सवाल प्रवासी मजदूरों की भूख कि समस्या को कैसे हल किया जाये।
अन्य प्रख्यात वक्ता प्रोफेसर आरपी द्विवेदी, अध्यक्ष, नेशनल एसोसिएशन ऑफ प्रोफेशनल सोशल वर्कर्स इन इंडिया (एनएपीएसडब्ल्यूआई), नई दिल्ली थे। प्रोफेसर द्विवेदी ने अपने भाषण में महामारी में समाज कार्यकर्ता की भागीदारी के महत्व के बारे में उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि उनके शहर (बनारस) में विभिन्न गैर सरकारी संगठनों ने समाज कार्य शिक्षा के छात्रों के सहयोग से बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कैंसर अस्पताल के पास सामुदायिक रसोई के बारे में बताया और उन्होंने मरीजों और उनके परिचारकों को भोजन उपलब्ध कराया। उन्होंने बताया कि समाज की मदद के लिए कई धार्मिक संस्थान आगे आए। उन्होंने महामारी के दौरान भारी मुनाफा कमाने वाले डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई नहीं करने के लिए सरकार की आलोचना की।
इसके अलावा, प्रोफेसर प्रतिभा जे. मिश्रा (डीन, समाज विज्ञान संकाय, पूर्व प्रमुख, सामाजिक कार्य विभाग, गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर, और राज्य समन्वयक, छत्तीसगढ़) ने लॉकडाउन के दौरान बच्चों के सामने आने वाली स्वास्थ्य समस्याओं, समस्याओं के बारे में बताया। बाल शोषण, घरेलू हिंसा और डिजिटल शिक्षा के लिए गैजेट्स की अनुपलब्धता के मामले पर प्रकाश दाला। इन समस्याओं ने अवसाद और चिंता को जन्म दिया। उन्होंने "व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी" और उसके नकली ज्ञान के बारे में बात की, जिसने महामारी के दौरान भय का माहौल बनाया। उन्होंने महामारी के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कई COVID-19 रोगियों की काउंसलिंग की। इससे उन्हें तेजी से ठीक होने में मदद मिली।
समापन भाषण डॉ. राज कुमार सिंह, प्रोफेसर, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, डॉ. राज कुमार सिंह ने ऐसे वेबिनार आयोजित करने के महत्व का वर्णन किया और वक्ताओं द्वारा दिए गए सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को संक्षेप में प्रस्तुत किया।
इस वेबिनार के आयोजन में समाज कार्य के शिक्षकों शोधार्थियों तथा तथा विशेष कर सुश्री तंजिला सिद्दीकी, सुश्री हरीम फातिमा नोमानी, श्री अखिलेश प्रताप, सुश्री अमरीन खान और श्री अश्विनी पाल शामिल थे। अंजलि मिश्रा, रिसर्च स्कॉलर, समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव दिया गया।