पर्यावरण और समाज पर मंथन: भाषा विवि में संपन्न हुआ 7वां अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस

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पर्यावरण और समाज पर मंथन: भाषा विवि में संपन्न हुआ 7वां अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस
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ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ में सातवें अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का समापन समारोह भाषा विश्वविद्यालय और जैसा (Glocal Environment and Social Association) के संयुक्त तत्वाधान में विश्वविद्यालय के अटल सभागार में किया गया।

विदित है कि पर्यावरण और समाज के द्वारा सातवां अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस, जिसका विषय क्लाइमेट चेंज: मिटिगेशन एंड एनवायरमेंटल एथिक्स फॉर ह्यूमन वेल बीइंग रहा। इस आयोजन ने न केवल पर्यावरणीय संकट पर वैश्विक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया बल्कि समाज, पर्यावरण और शिक्षा जगत की भूमिका पर भी गहन विमर्श की दिशा को नया स्वर दिया। समापन समारोह के इस अवसर पर कार्यक्रम की संयोजक डॉ नलिनी मिश्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया जिसके बाद सभी आगंतुक अतिथियों को शॉल और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इसके बाद कार्यक्रम के आरम्भ से लेकर अभी तक के कार्य वृत्त का संकलन विधि संकाय की सहायक प्रोफेसर डॉ श्वेता त्रिवेदी ने किया।

समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो अजय तनेजा ने अपने समापन भाषण में कहा कि पर्यावरण संरक्षण, मानव अस्तित्व की मूलभूत शर्त बन चुका है। शिक्षा संस्थानों को ऐसे मंच तैयार करने चाहिए जहाँ युवा पीढ़ी पर्यावरणीय संवेदनशीलता के साथ वैचारिक नेतृत्व प्रदान करे। प्रो तनेजा ने कॉन्फ्रेंस में आए सभी प्रतिभागियों को थिंक ग्लोबली और एक्ट लोकली को अपनाने पर जोर दिया। प्रो तनेजा ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण में सरकार सीमितता के साथ ही कार्य कर सकती है। हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए पूर्ण रूप से ठीक करने के लिए दिल से जागरूक कार्य करने होंगे। प्रो तनेजा ने साथ ही ओजोन लेयर की चुनौतियों से भी निपटने की आवश्यकता पर ध्यान रखने के लिए कहा।

समापन सत्र को संबोधित करते हुए डॉ वाईपी गौतम, वैज्ञानिक नरौरा ने कहा कि समाजिक उत्तरदायित्व और पर्यावरण अध्ययन, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास लक्ष्यों को जोड़ने में एक सेतु की भूमिका निभा सकते हैं। समापन समारोह में डॉ संदीप सिंह, चेयरमैन, इसीआरडी रिसर्च एंड एजुकेशन काउंसिल, हरियाणा ने कहा कि हमें शोध में मौलिकता को रखना चाहिए साथ ही आपने कहा कि कट, कॉपी, पेस्ट से बचना चाहिए। कार्यक्रम के दूसरे वक्ता डॉ संजय प्रसाद गुप्ता, वैज्ञानिक, एनआरएलसी, लखनऊ ने पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के बचाव के लिए समाज को आगे आना होगा। डॉ सोमेश गुप्ता, सीनियर टेक्निकल ऑफिसर ने अपने संबोधन में कहा कि यहां पर प्राप्त ज्ञान को समाज में ले जा सकते हैं। कार्यक्रम में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए डॉ एके वर्मा, सदस्य, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग प्रयागराज ने सभी संस्थानों को कॉन्फ्रेंस से जुड़ने के लिए आभार व्यक्त किया। वर्मा ने कहा कि पर्यावरणीय संकट केवल वैज्ञानिक चुनौती नहीं, बल्कि नैतिक प्रश्न भी है। हमें ऐसे समाज की आवश्यकता है जो प्रकृति को संसाधन नहीं बल्कि सह-अस्तित्व के रूप में देखे। डॉ एमडी गुप्ता, चेयरमैन, जैसा ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि शिक्षाविद ही पर्यावरणीय संवेदना जागृत करने में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। गुप्ता जी ने भाषा विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति का आभार भी व्यक्त किया।

समापन समारोह के अवसर पर प्रतिभागियों ने अपने अनुभव भी शेयर किये। कॉन्फ्रेंस में कुल 400 से अधिक शोध पत्र शामिल प्राप्त हुए। कॉन्फ्रेंस के दौरान पूरे परिसर में जागरूकता और रचनात्मक ऊर्जा का वातावरण बना रहा। कार्यक्रम का संचालन डॉ अंकिता ने किया। समारोह समापन के अवसर पर डॉ उधम सिंह, डॉ लक्ष्मण सिंह, डॉ मनीष कुमार, डॉ राहुल मिश्रा और डॉ मूसी रज़ा सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक, प्रतिभागी और विद्यार्थी भारी संख्या में उपस्थित रहे।

ऑनलाइन वाचिक प्रस्तुति (Online Oral Presentation) का परिणाम :

प्रथम स्थान : अरुणिमा सिंह

द्वितीय स्थान : डॉ. विनायक के. एस.

तृतीय स्थान : दिव्या चौधरी

पोस्टर प्रस्तुति (Poster Presentation) का परिणाम :

प्रथम स्थान (संयुक्त) :

1. सुश्री जेन डेन – आई.टी. कॉलेज, लखनऊ

2. डॉ. सुदीप्ति आर. श्रीवास्तव – के.जी.एम.यू., लखनऊ

द्वितीय स्थान : सुश्री नेहा शुक्ला – आई.टी. कॉलेज, कानपुर

तृतीय स्थान : सुश्री स्नेह त्रिवेदी – डी.जी.पी.जी. कॉलेज, कानपुर

सांत्वना पुरस्कार :

1. गुलाम अहमद सिद्दीकी

2. स्वाति पटेल

ऑफलाइन वाचिक प्रस्तुति (Offline Oral PPT) का परिणाम :

प्रथम स्थान (संयुक्त) :

1. सुश्री फातिमा खुर्शीद

2. सुश्री वाग्मी सिंह

द्वितीय स्थान : अदिति बरनवाल

तृतीय स्थान (संयुक्त) :

1. रवती सिंह

2. शशवत सिंह

सांत्वना पुरस्कार :

1. मेंका श्रीवास्तव

2. निशात फातिमा

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