कौशल विकास के साथ उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देने की आवश्यकताः कुलपति प्रो. प्रतिभा गोयल

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कौशल विकास के साथ उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देने की आवश्यकताः कुलपति प्रो. प्रतिभा गोयल

अयोध्या। अवध विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 प्रतिभा गोयल ने इंडियन इकोनाॅमिस्ट्स एसोसिएशन ट्रस्ट द्वारा शुक्रवार को गिरी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज अलीगंज लखनऊ में ‘स्वतंत्रता के बाद के भारत में विकास एवं पुनर्वितरण‘ के मुद्दे पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि कौशल विकास के साथ उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देने की जरूरत है।

आय एवं धन की असमानता के सामाजिक मुद्दे को दूर करने की आवश्यकता है। इससे उबरने के लिए तकनीकी पहलुओं पर जोर देना होगा। सम्मेलन में कुलपति प्रो गोयल ने कहा कि पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता आर्थिक विकास नीति में सहायक हो सकती है। राष्ट्र और समाज के हितधारकों को एक साथ आने से कई आने वाली चुनौतियों की दिशा में अनुकूलता प्रदान की जा सकती है। अंत में कुलपति ने कहा कि मानव जीवन की चुनौतियों से निपटने के लिए अनुकूल दृष्टिकोण के साथ काम करने की जरूरत है। तभी भारत में विकास एवं पुनर्वितरण संभव है।

राष्ट्रीय सम्मेलन में अविवि के कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो0 आशुतोष सिन्हा ने वैश्विक तुलना के लिए पीपीपी माॅडल की वकालत करते हुए कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संसाधनों के रूप में अधिक रोजगार क्षमता पर ध्यान देने की जरूरत है। सम्मेलन में प्रो मनोरंजन शर्मा ने कहा कि अर्थव्यवस्था के प्रभावी प्रबंधन के लिए मौद्रिक एवं राजकोषीय नीति के साधनों पर ध्यान देना होगा। प्रो0 डीएम दिवाकर ने बेरोजगारी विकास की समस्या, राजनीति संस्थानों की रक्षा और सामाजिक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। प्रो0 केएन भट्ट ने गरीबी उन्मूलन के लिए सरकार की पहल और योजनाओं पर विस्तृत प्रकाश डाला।

राष्ट्रीय सम्मेलन में लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो0 एके सेन गुप्ता, गुरूनानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के पूर्व संकायाध्यक्ष प्रो0 विक्रम चड्डा, बीबीएयू के एम के पाधी, प्रो0 सुरेन्द्र मेहर, गिरी इंस्टीट्यूट आॅफ डेवलपमेंट स्टडीज की प्रो0 नमिता कुमार, प्रो0 कविता बाल्यान, प्रो0 प्रमोद कुमार, प्रो0 एनएमपी वर्मा ने भी संबोधित किया। सम्मेलन का संचालन आयोजक सचिव डाॅ0 केएस राव द्वारा किया गया। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में देश एवं विदेश के नामी गिरामी विद्वान मौजूद रहे।

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