स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति: भारत में AI आधारित मेडिकल डिवाइसेस से रोगों की पहचान में बदलाव

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स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति: भारत में AI आधारित मेडिकल डिवाइसेस से रोगों की पहचान में बदलाव
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पिछले कुछ वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने स्वास्थ्य क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाया है, विशेषकर रोगों के प्रारंभिक पहचान और निदान में। AI आधारित मेडिकल डिवाइसेस अब डॉक्टरों और स्वास्थ्य प्रदाताओं को बीमारी की पहचान करने के तरीके बदल रही हैं, जिससे समय पर और सटीक इलाज की उम्मीद बढ़ी है।

ये स्मार्ट डिवाइसेस मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करके मेडिकल इमेज, मरीज के स्वास्थ्य संकेतों और आनुवंशिक डेटा का विश्लेषण बड़ी सूक्ष्मता से करती हैं। इस तकनीक की मदद से कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का पता पारंपरिक तरीकों से कहीं जल्दी लगाया जा सकता है।

स्वास्थ्य नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी और AI को चिकित्सा में अपनाने के समर्थक पवन कुमार चौरसिया ने इन प्रगति की अहमियत पर जोर दिया। "भारत के कई इलाकों में अभी भी पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं और विशेषज्ञों की कमी है। AI-समर्थित उपकरण, विशेष रूप से पोर्टेबल डिवाइसेस, ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में गुणवत्ता पूर्ण डायग्नोस्टिक्स पहुंचा सकते हैं," चौरसिया ने कहा।

कुछ लोकप्रिय AI आधारित उपकरणों के उदाहरण हैं:

• AI आधारित चेस्ट एक्स-रे विश्लेषक: ये उपकरण रेडियोलॉजिस्ट की मदद करते हैं और टीबी, निमोनिया और फेफड़ों के कैंसर जैसी समस्याओं को तेजी से पहचानते हैं।

• डायबिटिक रेटिनोपैथी के लिए रेटिना स्कैनर: यह मधुमेह से होने वाली आंखों की चोट को समय पर पकड़कर अंधेपन को रोकने में मदद करता है।

• पहनने योग्य ECG मॉनिटर: ये निरंतर हृदय की निगरानी करते हैं और असामान्य हृदय गतिविधि की स्थिति में मरीज और डॉक्टर को तुरंत अलर्ट करते हैं।

भारत के कई अस्पतालों और क्लीनिकों ने इन उपकरणों को अपनाना शुरू कर दिया है, जिससे निदान की गति और सटीकता बढ़ी है और मानवीय त्रुटियों में कमी आई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि चिकित्सा निदान में AI न केवल जीवन बचाएगा, बल्कि अनावश्यक जांच और अस्पताल आने-जाने की संख्या कम करके स्वास्थ्य सेवा की लागत भी घटाएगा।

जैसे-जैसे AI तकनीक विकसित हो रही है, पवन कुमार चौरसिया का मानना है कि एक दिन व्यक्तिगत चिकित्सा सामान्य हो जाएगी, जिसमें AI-चालित निदान हर व्यक्ति के जीन अनुसार इलाज सुझाएगा।

डॉ. पवन कुमार चौरसिया और शोध छात्र डॉ. सुनील सिंह और डॉ. सतीश कुमार ने मिलकर भारतीय पेटेंट भारत सरकार द्वारा डिजाइन पेटेंट शीर्षक “एआई सक्षम रोग पहचान चिकित्सा उपकरण” पर अनुदान हुआ है।

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति माननीय प्रोफेसर आर के मित्तल ने इस मौके पर अपनी शुभ कामना दी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस छेत्र में कुछ और नवाचार पर काम करने के लिए प्रेरित किया ।

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