जिस उम्र में लोग जीने की नहीं सोचते है उस उम्र में सॉफ्टवेयर चलाना सीख रहे है श्री टी श्रीनिवास्चारी स्वामी (T. Srinivasachariar swami )
जिस उम्र में लोगो की जीने की इच्छा ख़त्म हो जाती है उस उम्र में अगर व्यक्ति सॉफ्टवेयर चलना सीख रहा है और किताबे लिख रहा है तो ये उसके...
जिस उम्र में लोगो की जीने की इच्छा ख़त्म हो जाती है उस उम्र में अगर व्यक्ति सॉफ्टवेयर चलना सीख रहा है और किताबे लिख रहा है तो ये उसके...
जिस उम्र में लोगो की जीने की इच्छा ख़त्म हो जाती है उस उम्र में अगर व्यक्ति सॉफ्टवेयर चलना सीख रहा है और किताबे लिख रहा है तो ये उसके सनातन जीवन दर्शन की एक झलक है जिसमे चरैवेति चरैवेति का सिद्धांत है - उम्र एक संख्या है जो ये सिखाते है - धर्म और दर्शन के मर्मज्ञ स्वामी ने कई किताबे लिख रखी है जिसमे मंदिर में किये जाने वाला पूजा और उसका विधान बहुत खूब लिखा है -
उनका ये ज्ञान यही तक सीमित नहीं है वो ९२ साल में अपने किताब का ले आउट और डिज़ाइन खुद करने के लिए उन्होंने एक डिजाइन सॉफ्टवेयर भी सीख लिया -
उन्होंने वेद की पढाई कर पंडित बने और सालो तक मंदिर की सेवा की और उसी दौरान अपना खुद का प्रिन्टिगं प्रेस भी चलते रहे और अपनी किताबे खुद ही पब्लिश की -
इस तरह के व्यक्ति के लिए जीवन एक यात्रा है जिसमे आप जब तक है आनंद लेते रहे -
मन्दवेलिपाक्कम के रहने वाले श्रीनिवास ने अब तक १६ कितबे लिख ली है और जाने कितनी अभी लिखी जानी बाकी है -