लखनऊ : बीबीएयू से पीएचडी कर रहे छात्रों को मिलेगी खास उपाधि, जानें क्या?
लखनऊ : बीबीएयू से पीएचडी कर रहे छात्रों को मिलेगी खास उपाधि, जानें क्या?
लखनऊ : बीबीएयू से पीएचडी कर रहे छात्रों को मिलेगी खास उपाधि, जानें क्या?
शिक्षकों के साथ आपसी तालमले से भले आप अपना शोध पूरा कर लेंगे, लेकिन आपको पीएचडी की उपाधी तभी मिलेगी जब एक विदेशी शिक्षक आपके शोध की जांच कर ओके करेगा। शोध में गुणवत्ता बनाने का विश्वविद्यालय की पहल की सभी ने सराहना भी की है।
शोध करने वाले शोधार्थियों पर यह नियम लागू कर दिया गया है। परीक्षा नियंत्रक प्रो. कमान सिंह ने बताया कि गुणवत्तापरक पीएचडी के लिए यह कदम उठाया गया है। डा.एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में यह नियम पहले से ही लागू है।
अंबेडकर विश्वविद्यालय में अभी तक अन्य विश्वविद्यालयों की तरह ही पीएचडी थीसिस की जांच देश के शिक्षकों से ही कराई जाती है। इसमें सुपरवाइजर के अलावा एक शिक्षक यूपी से और एक शिक्षक किसी अन्य प्रदेश से शामिल किया जाता है, लेकिन अब बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय ने अपने इस नियम में बदलाव किया है। इसको एकेडमिक काउंसिल और बोर्ड आफ मैनजमेंट (बाम) ने भी अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।
परीक्षा नियंत्रक प्रो. कमान सिंह का कहना है कि अब पीएचडी की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठने लगते हैं। कई मामले ऐसे भी सामने आए हैं जिसमें आरोप लगा कि शोधार्थी ने अन्य पीएचडी की कंटेंंट चुराए हैं। यहीं वजह है कि पीएचडी में पारदर्शिता और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया है। इससे पीएचडी की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
उन्होंने बताया कि नए नियम के अनुसार अब सुपरवाइजर के अलावा देश के किसी भी राज्य के एक शिक्षक और एक विदेशी शिक्षक से पीएचडी थीसिस की जांच कराई जाएगी। इसके बाद ही वायवा किसी भी देश के किसी भी विश्वविद्यालय का शिक्षक लेगा।
नए नियम के तहत अब शोधार्थी को पीएचडी की थीसिस छपवाने की जरुरत नहीं होगी, क्योंकि उसे हार्ड कापी नहीं जमा करनी होगी। शोधार्थी अपनी पूरी थीसिस आनलाइन जमा करेगा। वह दो प्रति में साफ्ट कापी जमा करेगा। उन्होंने बताया कि इससे शोधार्थी के पैसे की बचत होगी।
साथ ही समय और कागज भी बचेगा। उन्होंने बताया कि पीएचडी का वायवा भी आनलाइन होगा। बाहरी शिक्षक को वायवा के लिए विवि परिसर में आने की जरुरत नहीं होगी।
इससे पैसे और समय की बचत होगी। अभी तक शिक्षक को वायवा लेने अंबेडकर विश्वविद्यालय आना पड़ता था, जिससे उसके आने-जाने का खर्च विवि को उठाना पड़ता है। अब इसकी बचत होगी।
अंबेडकर विश्वविद्यालय में शोध को बढ़ावा देने के साथ गुणवत्ता सुधार में यह बड़ा कमद है। शोधार्थियों के हितों के साथ ही गाइड करने वाले शिक्षकों को भी सहूलियत होगी।
पिछले साल 30 दिसंबर के बाद जो भी पीएचडी अवार्ड होगी उसे विदेशी शिक्षक से जांच कराना अनिवार्य होगा।
– प्रो.संजय सिंह, कुलपति, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय