विद्यालय में पढ़ने वाले ज्यादातर नौनिहालों के माता पिता के खाते में नहीं आए रुपए

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विद्यालय में पढ़ने वाले ज्यादातर नौनिहालों के माता पिता के खाते में नहीं आए रुपए

सरकार द्वारा शिक्षा विभाग को दी जाने वाली सुविधाएं पूरी तरह से असफल हो चुकी है विद्यालयों में पढ़ने वाले नौनिहाल ठंडक से ठिठुरते हुए पढ़ाई कर रहे हैं करीब 70 से 80% नौनिहालों को ना तो स्वेटर मिले और ना ही ड्रेस, जूते मोजे, बैग की बात तो दूर ही रही यही नहीं कुछ विद्यालयों में अभी भी चटाई पर बैठकर बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, तो वहीं पर डस्टबिन से कूड़ा भी उठा कर फेंकने का काम कर रहे हैं। साल का आखिरी महीना होने की वजह से ज्यादातर अध्यापक/ अध्यापिकाएं छुट्टियां मना रही हैं। राजधानी के मिले हुए ऐतिहासिक नगरी काकोरी में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है क्योंकि प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को सरकार की तरफ से 11 सो रुपए उनके परिजनों के खाते में ट्रांसफर किए जा रहे हैं लेकिन ज्यादातर परिजनों के खाते में अभी तक पैसे नहीं आए हैं जिसकी वजह से स्वेटर जूते मोजे ड्रेस नहीं खरीद पाए हैं।

ससअधिकांश बच्चे पुराने साल के स्वेटर ड्रेस पहन कर आ रहे हैं या फिर जूतों की जगह पर चप्पल ही पहनेगी विद्यालयों में दिखाई देते हैं यहां तक छोटे बच्चे अपने अपने कक्षा में ठिठुरते हुए देखे जा सकते हैं यदि बच्चों के माता पिता के खाते में पैसे नहीं आते हैं तो पूरी ठंडक नौनिहालों को ऐसे ही बितानी पड़ेगी पहले बच्चों के लिए विद्यालय से ही स्वेटर जूते मोजे ड्रेस कॉपी किताबें आसानी से मिल जाते थे। लेकिन प्रदेश सरकार ने इन सबके लिए 11 सौ रुपए निर्धारित किए हैं जिसमें महंगाई के समय में स्वेटर ड्रेस जूते मोजे बैग मिलना संभव नहीं दिख रहा है।

प्राथमिक विद्यालय में कुछ बच्चे बेंच पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं तो बहुत से बच्चे नीचे चटाई पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं ग्राम मौरा, अमेठिया सलेमपुर मे नौनिहाल जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे थे ग्राम मोरा में तो यह स्थिति है कि फर्श पर ही बैठकर पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं यदि सफाई के बारे में बात की जाए तो नौनिहालों के लिए जाने वाले टॉयलेट पूरी तरह से गंदे पड़े हुए हैं जिसमें कोई भी अंदर नहीं जाना चाहेगा लेकिन सफाई की व्यवस्था ना होने के कारण बच्चों को गंदे टॉयलेट का प्रयोग करना पड़ रहा है ग्राम अयोध्या सलेमपुर के उच्च प्राथमिक विद्यालय में बना हुआ टॉयलेट पूरी तरह से गंदगी से भरा हुआ है यहां पर यदि साफ-सफाई की बात की जाए तो सफाई कर्मचारी द्वारा बच्चे को कूड़ा से भरी हुई डस्टबिन बाहर फेंकने के लिए भेजा जाता है जो बच्चे अपना मुंह छुपाते हुए मजबूर होकर बाहर कूड़ा फेंकते हैं इसका जीता जागता उदाहरण अमेठिया सलेमपुर के उच्च प्राथमिक विद्यालय में आसानी से देखने को मिल जाएगा इस समय साल का आखिरी महीना दिसंबर होने के कारण ज्यादातर अध्यापक अध्यापिका छुट्टी लेकर अपने काम बता रहे हैं ग्राम मौरा में 5 अध्यापक हैं जिसमें चार अध्यापिका है छुट्टी लिए हुए हैं एक अध्यापक के सहारे पूरे दिन विद्यालय चल रहा है इसी तरह अमेठिया सलेमपुर के उच्च प्राथमिक विद्यालय में चार अध्यापिका है छुट्टी लिए हुए हैं इसी तरह प्राथमिक विद्यालय में भी अध्यापिकाएं छुट्टी पर हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालय अमेठिया सलेमपुर में बच्चों के लिए पानी पीने के लिए लगा हुआ अंदर का इंडिया मार्क 2हैंड पंप काफी दिनों से खराब पड़ा हुआ है बच्चों को पानी पीने के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है यहां पर अध्यापकों ने बिना अनुमति के प्रवेश वर्जित कर रखा है क्षेत्र के कई से जर्जर विद्यालयों को गिरा कर नया विद्यालय बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया है लेकिन अभी तक विद्यालयों को बनाने की शुरुआत नहीं की है जिसमें 3 विद्यालय सिकरोरी कठिगरा तेज किशन खेड़ा विद्यालयों को नीलामी होने के बाद ठेकेदार वापस नहीं आए इसके अलावा मनभौना, सराय प्रेम राज, इब्राहिम गंज, भरोसा, नारौना, दरियापुर, बहरू उच्च प्राथमिक विद्यालय, थावर फर्स्ट, मेहंदी नगर, बदबदा खेड़ा के विद्यालयों का भी काम धीरे धीरे हो रहा है या कहीं पर भी शुरू ही नहीं किया गया है।और वहां के दूसरे विद्यालय या अन्य सार्वजनिक जगहों पर पढ़ाई कर रहे हैं। क्षेत्र में उच्च प्राथमिक विद्यालय 24 है जिसमें केवल 8 प्रधानाध्यापक और 86 अध्यापक अनुदेशक एवं शिक्षा मित्रों बीसह जबकि छात्रों की संख्या 3244 है।प्राथमिक विद्यालयों में बालक और बालिकाओं की कुल संख्या 10824 है जिसमें 263 अध्यापक है अनुदेशक एवं शिक्षा मित्रों की संख्या 148 है तो वहीं पर केवल 56 ही प्रधानाध्यापक है जबकि 95 विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इस संबंध में बेसिक शिक्षा अधिकारी से जब जानकारी चाही गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया इसके अलावा उप जिलाधिकारी सदर का फोन नेटवर्क क्षेत्र से बाहर मिला

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