भारतीय भाषाओं की राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका

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भारतीय भाषाओं की राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका

अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के हिंदी भाषा एवं प्रयोजनमूलक विभाग तथा क्षेत्रीय भाषा केंद्र तथा बैंक ऑफ बड़ौदा के संयुक्त तत्वाधान में स्वंतत्रता सेनानी सुब्रमण्यम भारती के जन्म जयंती पर भारतीय भाषा उत्सव मनाया गया। इस अवसर पर हिंदी भाषा एवं प्रयोजनमूलक विभाग की सहायक आचार्य डॉ सुमन लाल ने भारतीय भाषाएं एवं उनका महत्व और राष्ट्र निर्माण में भारतीय भाषाओं की भूमिका विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी सभ्यता एवं संस्कृति से जोड़ने के लिए भाषा एक सेतु का कार्य करती है। व्याख्यान में क्षेत्रीय भाषा केंद्र की शिक्षिका डॉ0 प्रत्याशा मिश्रा ने सुब्रमण्यम भारती के भाषा के प्रति किया गए योगदान को उजागर किया। उन्होंने बतलाया कि सुब्रमण्यम भारती उत्तर भारत एवं दक्षिण भारत के मध्य एकता सेतु के समान थे। भारतीय भाषाओं का उद्देश्य विभिन्न संस्कृतियों के बीच सामंजस्य बनना है।




कार्यक्रम में केंद्र की सहायक आचार्य डॉ0 स्वाति सिंह ने लोक ज्ञान की अनिवार्यता को दर्शाते हुए राष्ट्र के निर्माण के लिए भारतीय भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारत की क्षेत्रीय बोलियां हिंदी को और अधिक सशक्त करती है और समृद्ध बनाती है। कार्यक्रम में राजभाषा अधिकारी नीरज कुमार ने कहा कि मातृभाषा के अभिप्राय से अवगत कराते हुए कहा कि हम जितनी भाषाएं सीखेंगे उतना ही भाषाई रूप से समृद्ध होंगे। भारत की भाषाएं विभन्नता में एकता की परिचायक है। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 सुमन द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ0 दिव्या वर्मा सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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