गुणात्मक शोध से सामाजिक समस्याओं का निराकरण संभव : प्रो. देवी चटर्जी
इंडियन रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन" द्वारा शाम 5 बजे ‘शोध और उसके प्रकाशन की नैतिकता’ के अनुप्रायोगिक विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया । इस विषय के...
इंडियन रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन" द्वारा शाम 5 बजे ‘शोध और उसके प्रकाशन की नैतिकता’ के अनुप्रायोगिक विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया । इस विषय के...
इंडियन रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन" द्वारा शाम 5 बजे ‘शोध और उसके प्रकाशन की नैतिकता’ के अनुप्रायोगिक विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया । इस विषय के मुख्य वक्ता प्रोफ देवी चटर्जी ,( पूर्व प्राध्यापक अन्तराष्ट्रीय अध्ययन विभाग, जधावपुर विश्वविद्यालय,पश्चिम बंगाल एवं संपादक कंटेंपोररी वाइसेस ऑफ दलित शोध पत्र) उपस्थित रहे । उन्होंने इस विषय पर सारगर्भित व्याख्यान दिया ।
उन्होंने अपने व्याख्यान के प्रारंभ में रिसर्च, उसकी गुणवत्ता और लेखन के प्रमुख विंदुवों को स्पष्ट किया। व्याख्यान के प्रारंभ में उन्होंने कहा शोध पत्रों का लेखन वैज्ञानिक मानकों के आधार पर होना चाहिए। शोध के शीर्षक के चयन में मौलिक विचारों की स्पष्टता अत्यंत आवश्यक है । जब किसी भी विचार को किसी भी शोध पत्र से ले तो उसका संदर्भ देना आवश्यक होता है । यह भी नहीं करना चाहिए की यदि किसी शोध पत्र को पढा नहीं गया है और उसका संदर्भ दे दिया जाए ऐसे में यह सभी आयाम साहित्यिक चोरी के अंतर्गत आ जाते हैं । उन्होंने इसके लिए भारतीय,अमेरिकन ,आस्ट्रेलिया और ईराक के सामाजिक वैज्ञानिकों का उदाहरण भी दिया । जिन्होंने इस विषय के अंतर्गत कार्य किया और ऐसे मुद्दों को उजागर किया है ।
जिस विषय में शोध किया जा रहा है उससे संबंधित साहित्य का अध्ययन किया जाना चाहिए तत्पश्चात समस्या का चयन किया जाना चाहिए । उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सामाजिक विज्ञान के विषयों में शोध की गुणवत्ता कम रहती है । विषय से संबंधित साहित्य का अध्ययन करने के पश्चात ही शोध कार्य प्रारंभ करना चाहिए। उन्होंने अपने सम्पादन का अनुभाव साझा करते हुए कहा कि गुणात्मक शोध में हम भावनाओं, वेग और मानवीय व्यवहार एवं सामाजिक चेतना आदि का अध्ययन कर सकते है । इसके लिए आवश्यक है कि जिस शीर्षक का चयन किया जाए उससे संबंधित ही साहित्य का अध्ययन करके शोध में संकलित किया जाना चाहिए गुणात्मक शोध की विशेषतावों और महत्व के आयामों को संदर्भित करते हुए उन्होंने उसमें आने वाली प्रमुख चुनौतियों को भी रेखांकित किया । इसके लिए भी उन्होंने व्यावहारिक उदाहरण प्रस्तुत किये । अंत प्रो. देवी चटर्जी नें सभी प्रतिभागियों के प्रश्नों के उत्तर दिए ।
इस व्याख्यान का आयोजन विकास कुमार,शोधार्थी,राजनीति विज्ञान एवं मानवाधिकार विभाग, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय , अमरकंटक द्वारा किया गया।उन्होंने हमारे अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। इस व्याख्यान के संयोजक पापी हलदर, लखनऊ विश्वविद्यालय रही एवं कार्यक्रम के सह-समन्वयक मधुसूदन मुकुल कुमार, शोधार्थी,राजनीति विज्ञान एवं मानवाधिकार विभाग, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय , अमरकंटक रहे । कार्यक्रम की सचिव धीरेश तिवारी रहे ।इस व्याख्यान में कई शोधार्थी–विद्यार्थी एवं श्रोता उपस्थित थे। डॉ सुधीर , अश्वनी कुमार, ,शिखा गोयल ,स्नेहा यादव ,जोगेन्द्र सिंह , प्रिय मिश्रा, कमलेश ,ज्योति एवं पुष्पलता आदि जुड़े रहे । इस व्याख्यान का आयोजन गूगल मीट के माध्यम से संपन्न हुआ