अराजकता की ओर अंबेडकर विश्वविद्यालय, मनु स्मृति जलाने की छूट, सुरक्षा गार्ड के सामने ही जलाया गया, प्रशासन ख़ामोश

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आज कल लखनऊ स्थित बाबसाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय पढ़ाई की जगह लड़ाई का अड्डा बना हुआ है । दो रजिस्ट्रार और दो वीसी , दोनों कार्यवाहक पर एक कोर्ट से राहत लेकर आया तो दूसरे को शिक्षा मंत्रालय ने बनाया पर इतने पर भी अंबेडकर विश्वविद्यालय नहीं सुधर रहा। है। एक तरफ़ प्रशासन में सत्ता किसके पास इसका संघर्ष चल रहा है, तो कही रजिस्ट्रार को अपने अधिकार को लेकर ख़ुद ही ऑर्डर निकालना पड़ रहा है तो कहीं वीसी को उनका ऑर्डर कैंसिल कर बताना पड़ रहा है कि असली कुलसचिव कौन है ।

फिर परिवर्तन की घड़ी आने वाली है : सूत्रों की माने तो कोर्ट के आदेश के कारण पूर्व में हटाये गये कार्यवाहक कुलपति प्रो एन एम पी वर्मा पुनः एक बार कार्य - भार सम्भाल सकते है । पर उनका कार्यकाल ३१ दिसंबर को फिर से ख़त्म हो जाएगा । उनके बाद अभी कार्यकारी वीसी प्रो शिवकुमार द्विवेदी फिर एक बार कार्यवाहक कुलपति का कार्यभार सम्भालेंगे ।

नये कुलपति के आने से पहले बदले जा रहें है सभी पदों पर चेहरे

पिछले विभिन्न समितियों से लोगो को हटाया जा रहा है और नये सिरे से लोगो को पुनः विभिन्न पद दिया जा रहा है। पर इस विश्वविद्यालय में कुलपति का इंटरव्यू हो चुका है और कभी भी नये कुलपति का आगमन हो सकता है, ऐसे समय लगातार लोगो को हटाना और नये लोगो को ज़िम्मेदारी सौपना किसी को समझ नहीं आ रहा । वैसे भी नये कुलपति के आते ही इन सभी पदों पर वो अपने हिसाब से और नये सिरे से नियुक्ति करता ही है।

बॉम की मीटिंग में अपने रिस्पांस को सार्वजनिक करने और अटेंड न करने के कारण एक शिक्षक के ख़िलाफ़ जाँच कमेटी बना दी गई है। अगर सूत्रों की माने तो पूर्व कुलपति के समय एक शिक्षिका को बॉम में मीटिंग अटेंड न करने के लिए कारण स्पष्ट करने और हेड शिप वापस लेने का भी मुद्दा था। उस शिक्षिका पर बॉम ने अपने अधिकार के तहत कार्य किया था। सूत्रों की माने तो इस बार बॉम मेम्बर के ख़िलाफ़ जाँच कमेटी कार्यकारी वीसी द्वारा बना दिया जाना और बिना बॉम की सहमति के जाँच कमेटी बनाना भी दबाव की राजनीति का अंग दिखाई दे रहा है। कई शिक्षकों में तीव्र आक्रोश है और जल्द ही ये आक्रोश सामने दिख भी सकता है ।

विश्वविद्यालय में अगर जल्द नये कुलपति की नियुक्ति नहीं की जाती है तो ये अराजकता बढ़ती जाएगी। इस संदर्भ में बचपन एक्सप्रेस के संवाददाता से बात करते हुए सत्तापक्ष के एक संघटन के बड़े अधिकारी ने इस मुद्दे को जल्द ही शिक्षा मंत्री भारत सरकार के सामने उठाने की बात कही है जिससे यहाँ की अराजकता को रोका जा सके।

अंबेडकर विश्वविद्यालय में पढ़ाई की जगह अराजक माहौल को लेकर पूर्व छात्र भी चितिंत है , बचपन एक्सप्रेस संवाददाता से बातचीत करते हुए पत्रकारिता विभाग के पूर्व छात्र पुष्कर प्रताप ने कहा कि उनको बहुत बुरा लगता है जब वो विश्वविद्यालय के बारे में इस तरह की बातें अखबारो में पढ़ते है, अपने दिन याद करते हुए कहाँ की उस समय माहौल ही अलग था ।

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