भाषा विश्वविद्यालय: दूरदर्शन दिवस पर राष्ट्रीय संगोष्ठी “मीडिया फॉर नेशन बिल्डिंग” एवं वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन

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भाषा विश्वविद्यालय: दूरदर्शन दिवस पर राष्ट्रीय संगोष्ठी “मीडिया फॉर नेशन बिल्डिंग” एवं वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन
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लखनऊ, 15 सितम्बर 2025: ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा दूरदर्शन दिवस के अवसर पर “मीडिया फॉर नेशन बिल्डिंग: दूरदर्शन की यात्रा” विषय पर आधारित राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं वाद-विवाद प्रतियोगिता का सफल आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुआ, जिसका प्रस्तुतीकरण तनिशा माथुर ने किया। मंच संचालन का दायित्व सनी माथुर ने निभाया। स्वागत भाषण डीन अकेडमिक्स, प्रो. सौबान सईद द्वारा दिया गया, जिसमें उन्होंने कार्यक्रम की महत्ता और मीडिया की राष्ट्र निर्माण में भूमिका पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में बोलते हुए, मुख्य अतिथि श्री आत्म प्रकाश मिश्र (प्रोग्रामिंग हेड, दूरदर्शन उत्तर प्रदेश) ने अपने सारगर्भित संबोधन में विद्यार्थियों से कहा कि पत्रकारिता में सबसे अहम है भाषा पर पकड़ और संप्रेषण की स्पष्टता। “एक पत्रकार तभी सफल हो सकता है जब वह अपनी बात को सरल, प्रभावी और स्पष्ट ढंग से रख सके,” उन्होंने कहा। उन्होंने विद्यार्थियों को सचेत करते हुए “ब्रेन रॉट इफेक्ट” की चर्चा की, जो आज की पीढ़ी में मीडिया की अंधाधुंध खपत के कारण बढ़ता जा रहा है। श्री मिश्र ने ज़ोर दिया कि सतही जानकारी पर निर्भर रहने से गहन अध्ययन और आलोचनात्मक सोच की आदत कमज़ोर होती है, जो पत्रकारिता के भविष्य के लिए चुनौतीपूर्ण है।

उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटल युग में दूरदर्शन आज भी अपनी विश्वसनीयता और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहने की वजह से प्रासंगिक है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि पत्रकारिता का कार्य केवल समाचार संप्रेषण नहीं बल्कि भारतीय परंपरा, कला, भाषा और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का भी दायित्व है।

वहीं विशिष्ट अतिथि श्री कपिल तिलहरी (प्रसिद्ध अभिनेता/निर्देशक, बॉलीवुड) ने अपने उद्बोधन में जनरेशन-ज़ेड की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए छात्रों को कठिन परिश्रम, ईमानदारी और अनुशासन के महत्व से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को अवसरों का लाभ उठाने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति, परंपराओं और भाषाओं को आत्मसात करना चाहिए। उन्होंने बताया कि कैसे दूरदर्शन ने अपनी यात्रा में भारतीय समाज और संस्कृति को एकजुट करने का कार्य किया है और डिजिटल युग में भी यह प्रसारक संस्था अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है।

संगोष्ठी के अंतर्गत आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता का विषय था — “कृत्रिम बुद्धिमत्ता समाचार कक्षों में: वरदान या पत्रकारिता के लिए खतरा?”। प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने प्रस्तावना और विपक्ष में अपने-अपने पक्ष को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। निर्णायक के रूप में डॉ. राहुल मिश्रा और डॉ. पूनम उपस्थित रहे।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजय तनेजा के संरक्षण और मार्गदर्शन से कार्यक्रम को भव्यता प्राप्त हुई। कार्यक्रम में डॉ. काज़िम रिज़वी, डॉ. शचिन्द्र शेखर, डॉ. नसीब, मोहसिन हैदर, रोमा और यूसुफ सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संयोजन विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम प्रभारी डॉ. रुचिता सुजय चौधरी द्वारा किया गया। उन्होंने अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया और कहा कि इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास और पत्रकारिता की गहरी समझ विकसित करने के लिए अत्यंत उपयोगी हैं।

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