छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में ‘पढ़े विश्वविद्यालय / बढ़े विश्वविद्यालय’ कार्यक्रम का सफल आयोजन
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (CSJMU), कानपुर में सेवा पखवाड़ा (17–22 सितम्बर 2025) के अंतर्गत ‘पढ़े विश्वविद्यालय / बढ़े विश्वविद्यालय’...


छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (CSJMU), कानपुर में सेवा पखवाड़ा (17–22 सितम्बर 2025) के अंतर्गत ‘पढ़े विश्वविद्यालय / बढ़े विश्वविद्यालय’...
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (CSJMU), कानपुर में सेवा पखवाड़ा (17–22 सितम्बर 2025) के अंतर्गत ‘पढ़े विश्वविद्यालय / बढ़े विश्वविद्यालय’ कार्यक्रम का आयोजन दिनांक 20 सितम्बर 2025 को किया गया। यह आयोजन जी.एस.वी. केंद्रीय पुस्तकालय के तत्वावधान में विश्वविद्यालय के सभी विभागों में एक साथ संपन्न हुआ।
कार्यक्रम की प्रेरणा माननीय कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी से प्राप्त हुई, जबकि आयोजन की संकल्पना और क्रियान्वयन माननीय कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक जी के नेतृत्व में संपन्न हुआ। इस पहल का उद्देश्य विद्यार्थियों में सामूहिक हिन्दी पठन-पाठन की संस्कृति को प्रोत्साहित करना, ज्ञान के प्रति रुचि जागृत करना, और संवाद कौशल एवं आत्मविश्वास को विकसित करना था।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी संकायों एवं विभागों—जैसे मानविकी, विज्ञान, वाणिज्य, पत्रकारिता एवं जनसंचार, शिक्षा, विधि, सामाजिक कार्य, प्रबंधन, कंप्यूटर अनुप्रयोग, पर्यावरण अध्ययन आदि—में विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। पठन सत्रों के दौरान छात्रों ने विभिन्न रचनात्मक आकृतियों में भागीदारी की।
कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने न केवल साहित्यिक अभिरुचि का प्रदर्शन किया, बल्कि सामूहिक अध्ययन की शक्ति को भी अनुभव किया। यह आयोजन विद्यार्थियों में पढ़ने की आदत को सुदृढ़ करने, विचारशीलता को बढ़ावा देने, और ज्ञान के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ।
कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक जी ने इस अवसर पर कहा, “ज्ञान का सृजन केवल पुस्तकों से नहीं, बल्कि सामूहिक पठन और संवाद से होता है। यह कार्यक्रम विद्यार्थियों को आत्मविकास और सामाजिक बौद्धिकता की ओर प्रेरित करता है।”
केंद्रीय पुस्तकालय की ओर से सभी विभागों को पठन सामग्री उपलब्ध कराई गई और विभागीय समन्वयकों ने विद्यार्थियों को सक्रिय रूप से मार्गदर्शन प्रदान किया। कार्यक्रम की सफलता ने यह सिद्ध किया कि विश्वविद्यालय न केवल अकादमिक उत्कृष्टता बल्कि सांस्कृतिक और वैचारिक चेतना के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।