ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में स्वच्छता पखवाड़ा के अंतर्गत ‘बापू बाज़ार’ का आयोजन
ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ में स्वच्छता पखवाड़ा के अंतर्गत गृह विज्ञान विभाग और विज्ञान संकाय की ओर से आज ‘बापू बाज़ार’ का...


ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ में स्वच्छता पखवाड़ा के अंतर्गत गृह विज्ञान विभाग और विज्ञान संकाय की ओर से आज ‘बापू बाज़ार’ का...
ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ में स्वच्छता पखवाड़ा के अंतर्गत गृह विज्ञान विभाग और विज्ञान संकाय की ओर से आज ‘बापू बाज़ार’ का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के शैक्षणिक भवन स्थित अटल हॉल के सामने आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो. अजय तनेजा ने किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर डॉ. नीरज शुक्ला और डॉ. नलिनी मिश्रा भी उपस्थित रहे। उद्घाटन करते हुए कुलपति प्रो. तनेजा ने कहा कि बापू बाज़ार केवल वस्त्रों का आदान-प्रदान भर नहीं है, बल्कि यह आत्मसम्मान, सामाजिक संवेदनशीलता और जरूरतमंदों को सशक्त बनाने का एक उत्सव है। महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित यह पहल सहयोग, समानता और जिम्मेदार उपभोक्तावाद की भावना को समाज में प्रोत्साहित करती है।
गृह विज्ञान विभागाध्यक्ष एवं विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. तत्हीर फ़ात्मा ने बताया कि बापू बाज़ार का उद्देश्य समाज में स्वच्छता, पुनः उपयोग और पर्यावरण संरक्षण की भावना को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम मूल्य पर वस्त्र उपलब्ध कराने से न केवल जरूरतमंदों की मदद होती है, बल्कि समाज में स्थायित्व और स्वच्छता का संदेश भी जाता है।
भोजन और कला स्टॉल बने आकर्षण का केंद्र
बाज़ार में इडली-सांभर, दही वडा, मेडु वडा, पास्ता, भेल, फ्रूट चाट, पानी पुरी, पोहा, साबूदाना खीर, स्प्राउट मिक्स और बेकरी उत्पाद जैसे व्यंजनों के स्टॉल आगंतुकों के आकर्षण का केंद्र बने। साथ ही एक स्टॉल पर कैनवास पेंटिंग, कीरिंग और ब्रेसलेट भी प्रदर्शित किए गए। स्टॉल्स का मूल्यांकन डॉ. बुशरा अलवे़रा, डॉ. श्वेता अग्रवाल और डॉ. शालिनी त्रिपाठी द्वारा किया गया।
शिक्षकों व छात्रों की सक्रिय भागीदारी
इस आयोजन को सफल बनाने में शिक्षकों और छात्रों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। डॉ. कल्पना देवी और डॉ. कृतिमा सचान ने कपड़ों के सेक्शन का संचालन किया। वहीं डॉ. दिलीप कुमार, डॉ. मोहम्मद जाहिद और डॉ. अजय कुमार यादव ने समाज के निम्न वर्ग और विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गाँवों से लोगों को जोड़ने में योगदान दिया। स्टॉल्स की व्यवस्था और प्रबंधन में डॉ. आसिफ जाफरी, डॉ. रत्नेश सिंह, डॉ. नलिनी धस्माना, डॉ. शालिनी सिंह और डॉ. वंदिता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
‘पहले आओ, पहले पाओ’ की तर्ज पर आयोजित इस बाज़ार में विश्वविद्यालय परिवार के साथ-साथ बड़ी संख्या में छात्रों और आम नागरिकों ने भाग लिया और इस सामाजिक पहल की सराहना की।